उपमुख्यमंत्री साव के शहर में पुलिस वालो का बीच बाजार हुआ आपसी दंगल
प्रदेश की न्यायधानी में छत्तीसगढ़ सरकार के उपमुख्यमंत्री अरुण साव का निवास है।पुलिस वालों के बीच जबआपसी दंगल चल रहा है तो आम जनता की रक्षा कौन करेगा।यह बात बहुत आसानी से समझी जा सकती है।
बिलासपुर छत्तीसगढ़ उजाला:
बिलासपुर में पुलिस वालों का आपसी दंगल देखकर जनता भी मजा लेने में नजर आई। न्यायधानी में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव का निवास भी है।उपमुख्यमंत्री के क्षेत्र का यह हाल देखकर लोगो मे आश्चर्य का अनुभव भी हुआ।पुलिस वाले आपस मे ही दंगल करते नजर आए।शुक्रवार की दोपहर जेल चौक पर वर्दीधारी आरक्षकों के बीच कैदी को जेल दाखिल कराने के मामले में जोरदार मारपीट हो गई। शराब के नशे में धुत आरक्षक विष्णु चंद्रा और साथी आरक्षक विनय ठाकुर के बीच हुए इस विवाद ने सड़क पर हंगामा खड़ा कर दिया।घटना उस समय की है जब आरक्षक विष्णु चंद्रा और विनय ठाकुर कुछ दिन पहले कैदी की पेशी कोर्ट में कराने गए थे। कोर्ट में विष्णु की तबीयत बिगड़ने पर उसने बेंच पर आराम करने का फैसला किया और विनय को कैदी की पेशी कराने के बाद उसे जगाने को कहा। विनय ने पेशी कराकर कैदी को अकेले ही जेल पहुंचा दिया। विष्णु के जागने पर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया।
शुक्रवार को विष्णु शराब के नशे में था और उसने विनय को फोन कर पुरानी बात को लेकर बहस छेड़ दी। उस समय विनय कैदी की पेशी कराने में व्यस्त था, लेकिन अभद्र भाषा सुनकर वह भी भड़क उठा और सीधे जेल चौक पहुंचा। यहां दोनों के बीच बहस ने मारपीट का रूप ले लिया। वर्दीधारियों के बीच सड़क पर हो रही मारपीट को देखकर लोग वहां रुकने लगे और भीड़ जमा हो गई।घटना की सूचना सिविल लाइन थाने को दी गई। एएसआई अमृत साहू अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और दोनों आरक्षकों को अलग कर घर भेज दिया।घटना का वीडियो किसी ने अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया और थोड़ी देर बाद यह वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो वायरल होते ही वर्दीधारियों के बीच हुई इस मारपीट की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई।
घटना के दौरान जेल चौक पर जाम की स्थिति बन गई थी। सिविल लाइन थाने की टीम ने मौके पर पहुंचकर दोनों आरक्षकों को समझाया और विनय को ड्यूटी पर वापस भेज दिया। इसके बाद जवानों ने भीड़ को नियंत्रित कर यातायात व्यवस्थित किया।हालांकि, मारपीट की शिकायत किसी ने थाने में नहीं की है, लेकिन वर्दीधारियों के इस व्यवहार ने पुलिस विभाग की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब इस घटना पर उच्च अधिकारियों के द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है।यह देखना बाकी है।