भोपाल । साइबर ठग रोजाना नए-नए तरीके अपनाकर लोगों की खून-पसीने की कमाई एक झटके में उड़ा देते हैं। ठगों के खिलाफ कार्रवाई और अपने रूपये वापस लेने की आस में पीडि़त जब पुलिस के पास पहुंचता है तो उसकी शिकायत सिर्फ एक शिकायती आवेदन का रूप बन जाती है, पुलिस उसे एफआइआर की शक्ल भी नहीं देती।
जिन मामलों का सुलझना आसान, सिर्फ उन पर ही एफआइआर
भोपाल की साइबर क्राइम सेल में पिछले छह महीने में हर दिन 20 से अधिक साइबर अपराध पीडि़त अपनी फरियाद लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन इन छह माह में साइबर पुलिस ने सिर्फ 30 मामले में ही एफआइआर ही दर्ज की हैं। साइबर अपराध पर पुलिस की सुस्त कार्यप्रणाली न सिर्फ अपराधियों के मनोबल को बढ़ाता है, बल्कि लोगों में पुलिस के प्रति लोगों का भरोसा भी कम हो रहा है। कोहेफिजा स्थित साइबर क्राइम सेल में रोजाना साइबर फ्राड पीडि़तों की कतारें लगी रहती हैं। परंतु साइबर सेल का रिकार्ड साफ रखने पुलिस ऐसे ही मामलों में एफआइआर दर्ज करती है, जिन मामलों का सुलझना आसान समझा जाता है या फिर जिनकी कड़ी पूर्व में हुए मामलों से जुड़ती है। यही वजह है कि हजारों शिकयतों पर इस वर्ष साइबर क्राइम सेल में सिर्फ 30 एफआइआर ही दर्ज की गई हैं।
शिकायत के बाद लगाना पड़ते हैं पुलिस थाने और बैंक के चक्कर
आनलाइन ठगी के शिकार लोग अपनी पीड़ा लेकर साइबर सेल पहुंचते हैं तो उन्हें स्थानीय थाने और बैंक के भेजा जाता है। यूं तो नियम के अनुसार 25 हजार रूपये या उससे कम राशि के फ्राड का मामला ही स्थानीय थाने में दर्ज किया जाता है। परंतु कई बार 25 हजार से अधिक की ठगी होने के बावजूद साइबर क्राइम सेल उन्हें स्थानीय थाने में एफआइआर के लिए भेजती है।