मध्यप्रदेशराज्य

माफिया के आगे मंत्री भी पस्त: कट रहे जंगल, बढ़ रहा जंगलीपन

भोपाल। देश के सबसे बड़े वन क्षेत्र वाले मप्र में जंगल खतरे में हैं। वनाधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाले भू अधिकार पत्र (पट्टे) के लिए अतिक्रमणकारी लगातार पेड़ों की कटाई कर वन भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। विरोध करने पर वनकर्मियों पर हमले, हवाई फायर, पथराव जैसी घटनाएं भी बढ़ी हैं। हद तो यह है कि वन मंत्रियों के क्षेत्र में भी वन भूमि पर तेजी से अक्रिमण हुआ है। यानी वन माफिया के आगे वन मंत्री भी पस्त हैं। गौरीशंकर शेजवार के रायसेन  जिले में  46 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। उमंग सिंघार के धार जिले में 4360 हेक्टेयर, विजय शाह के खंडवा जिले में 4034 हेक्टेयर, नागर सिंह चौहान के अलीराजपुर जिले में 25601  हेक्टेयर और दिलीप अहिरवार के छतरपुर जिले में 12,957 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। प्रदेश के श्योपुर, बुरहानपुर, शिवपुरी, सीहोर आदि जिलों से पट्टों के लिए जंगल के पेड़ काटने की शिकायतें मिली हैं। विभाग सख्ती से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। प्रदेश में 95 हजार किलोमीटर का वन क्षेत्र हैं, इनमें से 34 हजार वन क्षेत्र में बिगड़े वन क्षेत्र हैं।
वर्ष 2019 में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने प्रदेश में दो साल में 68.49 प्रतिशत वर्ग किमी में जंगल बढऩे की घोषणा की थी लेकिन इस साल तस्वीर बिल्कुल अलग है। प्रदेश में इस साल वन अधिकार पत्रों के लिए कुल 1 लाख 65 हजार 139 दावे किए गए हैं। इनमें से 20 हजार 41 दावों को जायज माना गया है। यानी 88 प्रतिशत दावे खारिज कर दिए गए। सबसे कम करीब 4 प्रतिशत दावे चंबल संभाग में सही पाए गए हैं। बड़े पैमाने पर दावों के अमान्य होने कारण जंगल की कटाई करके अवैध अतिक्रमण करना, एक से ज्यादा जिलों में जाकर दावा करना, गलत दस्तावेज देने जैसे कारण सामने आए हैं। मप्र में 94 हजार 689 वर्ग किमी में जंगल है। वन अधिकार पत्र हासिल करने के लिए ग्राम समिति अनुमोदन करती है, फिर तहसील स्तर की समिति और अंत में जिला स्तरीय समिति। ग्राम समितियों ने भी बिना दस्तावेज जांचे और भौतिक सत्यापन किए दावे मान्य किए हैं। उनकी भूमिका भी संदिग्ध है।

 

शेजवार के गृह जिले में सबसे अधिक अतिक्रमण

प्रदेश में वन माफिया की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में अब तक जो पांच वन मंत्री बने हैं वे अपने गृह जिले के जंगल में ही अतिक्रमण को पैर पसारने से नहीं रोक पाए। इनमें सर्वाधिक अतिक्रमण तत्कालीन वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार के गृह जिले रायसेन में हुआ। रायसेन जिले में 46 हजार हेक्टेयर अधिसूचित वन क्षेत्र में अतिक्रमण हो गया। दूसरे नंबर पर वर्तमान वन मंत्री नागर सिंह चौहान का गृह जिला आलीराजपुर है। यहां 25 हजार 601 हेक्टेयर अधिसूचित वन भूमि पर अतिक्रमण हो गया। इसी तरह राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार के गृह जिले छतरपुर में 12 हजार 957 हेक्टेयर अधिसूचित वन क्षेत्र में अतिक्रमण पाया गया है। हालांकि इन दोनों को ही मंत्री बने महज पांच माह हुए हैं, लेकिन वन क्षेत्र से अतिक्रमण हटाना इनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा। पूर्व वन मंत्री विजय शाह का गृह जिला खंडवा वन अतिक्रमण के मामले में चौथे नंबर पर और कमल नाथ सरकार में वन मंत्री रहे उमंग सिंघार का गृह जिला धार वन मंत्रियों के गृह जिले में वन भूमि पर हुए अतिक्रमण की सूची में पांचवें नंबर पर है। पूरे राज्य के वन क्षेत्र की बात करें, तो मप्र में 94 लाख 68 हजार 900 हेक्टेयर वन क्षेत्र हैं, इनमें से पांच लाख 74 हजार 963 हेक्टेयर अधिसूचित वन क्षेत्र अतिक्रमण की जद में है।

 

सबसे अधिक अतिक्रमण बुरहानपुर में

प्रदेश में सर्वाधिक अतिक्रमण बुरहानपुर में हैं। यहां राज्य सरकार भी अतिक्रमण रोकने में नाकाम रही है। बुरहानपुर में 1,90,102 हेक्टेयर अधिसूचित वन क्षेत्र हैं। इनमें से 52,751 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिक्रमण पाया गया है। यहां अतिक्रमणकारियों द्वारा वन अमले पर भी हमला करने की घटनाएं कई बार देखने में आई हैं। वन मंत्री नागर सिंह चौहान का कहना है कि वन क्षेत्र में अतिक्रमण की जहां-जहां शिकायतें आती हैं, उस पर हम कार्रवाई करते हैं। हमारा प्रयास है कि वन क्षेत्र में नया अतिक्रमण न हो। वर्षों से जो अतिक्रमण है, वहां भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है। जहां अतिक्रमण है, वहां जांच कर बेदखली की कार्रवाई करेंगे।

News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button