भोपाल : उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा है कि राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से गतिशील हो गई है। पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ रहा है। अधोसंरचनात्मक विकास की गति को निरंतर बनाए रखने के लिए रणनीतियां बनाई जा रही हैं। देवड़ा प्रशासन अकादमी में प्रदेश के बजट निर्माण के लिए विषय-विशेषज्ञों के साथ संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मध्यप्रदेश के बजट को नागरिकों की अपेक्षा के अनुसार बनाने और उनकी विकास योजनाओं को पूरी करने के उद्देश्य से समाज के सभी वर्गों से बजट निर्माण के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। देवड़ा की पहल पर बजट पूर्व संवाद की परंपरा शुरू हुई थी। इस अवसर पर प्रमुख सचिव वित्त मनीष सिंह, सचिव वित्त अजीत कुमार, संचालक बजट बक्की कार्तिकेएन, उप सचिव राजीव रंजन मीना, उप सचिव फ्रैंक नोबेल एवं वित्त विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
देवड़ा ने संवाद सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रधानमंत्री के संकल्प को पूर्ण करने में मध्यप्रदेश का उल्लेखनीय योगदान होगा।
देवड़ा ने ऊर्जा क्षेत्र को और ज्यादा मजबूत बनाने इसके लिए विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं। उन्होंने कहा कि डायनामिक वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को फिर से वित्त मंत्रालय का दायित्व मिलना प्रदेश के लिए यह शुभ संकेत है। समय-समय पर उनसे मिले मार्गदर्शन से मध्य प्रदेश का वित्तीय प्रबंधन बेहतर साबित हुआ है। संवाद सत्र में भाग ले रहे विशेषज्ञों और विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों ने मध्यप्रदेश के बजट निर्माण के लिए उपयोगी सुझाव दिए।
डिजिटल साक्षरता जरूरी
हेमंत सोनी महाप्रबंधक रिजर्व बैक ऑफ इंडिया ने जलवायु जोखिम, पर्याप्त भंडारण स्थान, किसानों और छात्रों के लिये वित्तीय और डिजिटल साक्षरता पर जोर देने की आवश्यकता बताई। क्लस्टर स्तर पर न्यूनतम बुनियादी ढ़ाचा बनाने की आवश्यकता है। इसके लिये बजट में प्रावधान ज्यादा होना चाहिए।
नंदू जे. नाइक उप महा प्रबंधक नाबार्ड ने सिंचाई के क्षेत्र में फोकस करने की आवश्यकता बताई। हार्टीकल्चर एवं माइक्रो सिंचाई, इंपोर्ट मार्केट बढ़ाने की आवश्यकता है। लॉजिस्टिक एवं कॉर्पोरेट सेक्टर में कार्य किया जाना चाहिए। साथ ही किसानों के छोटे-छोटे ग्रुप बनाये जाना चाहिए।
पूंजीगत व्यय बढ़ाना होगा
प्रो. सी.प्रताप रंजन जैना नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एण्ड पॉलिसी नई दिल्ली ने विभिन्न क्षेत्रों में पूंजीगत व्यय बढ़ाने का सुझाव दिया । उन्होंने कहा कि राज्य की जीडीपी बढ़ाने वाले सभी क्षेत्रों में निवेश को आगे ले जाने की आवश्यकता है।
सुकान्ता सिंह डिप्टी काउंट्री रिप्रेजेन्टेटिव यूएन वूमेन इंडिया ने कहा कि मध्यप्रदेश ने जेंडर बजट के लिये बहुत बढ़िया कार्य किया है। महिलाओं की सेफ्टी और केयर वेल्डिंग इकॉनॉमिक्स पर ज्यादा राशि देनी चाहिए।
सुह्यून ही बेन चीफ सोशल पॉलिसी यूनिसेफ इंडिया ने मध्यप्रदेश सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि महिलाओं के विकास के लिये मध्यप्रदेश ने बहुत अच्छा काम किया है। बच्चों के विकास के लिये बजट और देना चाहिए। क्लायमेट चेंज पर भी ध्यान देना होगा। स्कूलों में हेल्थ के लिये बजट बढ़ाया जाना चाहिए।
प्रो. सिद्धार्थ चतुर्वेदी एक्स चेयरमेन सीआईआई ने कहा कि उद्योग के लिये स्टाम्प ड्यूटी पर सब्सिडी पर सरकार को विचार करना चाहिए। सर्विस सेक्टर, टेक्सटाइल में टेक्नॉलॉजी डेवेलपमेंट इंन्फ्रास्ट्रकचर में रोजवेज, लॉजिस्टिक, एयरपोर्ट का विकास, ड्रोन सेवाओं, सोलर एनर्जी, डिफेंस, ईव्ही पर अतिरिक्त राशि की व्यवस्था होना चाहिए। इसके साथ महिलाओं के लिये स्टार्ट-अप, हेल्थ क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों के लिये अलग से व्यवस्था करना, शिक्षा के क्षेत्र में रिसर्च, स्किल आईटी से जोड़ने पर विचार होना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन पर फोकस
प्रो. योगेश दुबे भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भोपाल ने वनों एवं जल के लिये अलग से वातावरण के हिसाब से बजट बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। वाइल्ड लाइफ एवं पर्यावरण और क्लायमेट चेंज को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ट्रायबल वेलफेयर एवं वाटर मेनेजमेंट, नदियों को स्वच्छ बनाना, मध्यप्रदेश टूरिज्म, विलेज टूरिज्म पर ध्यान देने के साथ फॉरेस्ट फायर होने के बाद उस जगह पर प्लांटेशन करवाना की आवश्यकता पर जोर दिया।
के.व्ही. प्रताप सीनियर इकोनॉमिक एडवाइजर गृह मंत्रालय भारत सरकार ने सुझाव दिया कि अधोसंरचना के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए बजट की अतिरिक्त व्यवस्था करनी चाहिए।
संचालक वित्त बक्की कार्तिकेएन ने आभार प्रदर्शन में कहा कि विषय-विशेषज्ञों ने जो सुझाव दिये उस पर विचार किया जाएगा।