कोरबा (छत्तीसगढ़ उजाला)। हर तरह के अपराध की रोकथाम करने को लेकर कोरबा जिले में पुलिस के द्वारा काम किया जा रहा है। प्रतिबंधित दवा के उपयोग को रोकने और इस प्रकार के कार्य में लगे लोगों की पहचान करने के लिए भी पुलिस गंभीरता दिख रही है। दवा दुकान संचालकों के साथ पुलिस ने इस बारे में बैठक की और उनसे विचार विमर्श किया।
विभिन्न प्रकार की बीमारियों के मामले में पीड़ितों को राहत देने के लिए अलग-अलग तरह की दवा का उपयोग किया जाता है। डॉक्टर की सलाह के आधार पर इस प्रकार की दवाएं मरीज उपयोग में लेते हैं। जबकि सामान्य बीमारी की स्थिति में लोग अपने हिसाब से भी उपचार करने में रुचि लेते हैं। अनिद्रा, तनाव और चिड़चिड़ापन के साथ-साथ कई ऐसे मामले होते हैं, जिनमें लोगों को विशेष तरह की दवाई जरूरी होती है, लेकिन इसकी आड़ में गलत आदत रखने वाला वर्ग प्रतिबंधित दवा का उपयोग करने से बाज नहीं आता।
प्रतिबंधित दवा की उपयोगिता को लेकर सरकार ने स्पष्ट व्यवस्था बनाई है कि डॉक्टर के द्वारा लिखे जाने पर ही इस प्रकार की दवाएं संबंधित व्यक्ति को उपलब्ध कराई जा सकेंगी। पुलिस ने भी इस दिशा में मेडिकल स्टोर संचालकों को अपनी भूमिका निभाने के लिए कहा है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सभागार में दवा व्यवसायियों के साथ इस बारे में बैठक की गई और उनसे आवश्यक चर्चा की गई। एडिशनल एसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि प्रतिबंध दवा देने के लिए जो नियम बने हैं, उनका हर हाल में पालन किया जाए। साथ ही बार-बार इस तरह की दवा खरीदने वालों को चिह्नित भी किया जाए।
कोरबा के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कुछ मौके पर गैर जरूरी दवा को चोरी छुपे बेचने के मामले पिछले समय में प्रकाश में आए हैं और इसकी सूचना मिलने पर पुलिस की ओर से कार्रवाई की गई है। इस तरह की कुछ दुकानों को सील करने का काम भी प्रशासन की ओर से किया गया है। माना जा रहा है कि प्रतिबंधित सामग्री की खरीद परोक्ष को हतोत्साहित करने के लिए अब नए स्तर पर कार्रवाई की जा रही, ताकि अपराधिक तत्वों को सबक मिल सके।