बिलासपुर

केस की जांच में गंभीर लापरवाही बरतने पर, तत्कालीन सरकंडा टीआई फैजुल होदा और विवेचना अधिकारियों की जांच के लिए एसपी को आईजी ने दिए निर्देश

छत्तीसगढ उजाला

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। जिले के सरकंडा थाना में 2023 में धोखाधड़ी के एक केस की जांच में गंभीर लापरवाही बरतने पर आईजी डॉ संजीव शुक्ला ने तत्कालीन टीआई फैजुल होदा शाह व विवेचना अधिकारी संगीता नेताम व प्रदीप यादव के खिलाफ जांच के आदेश दिए है। एएसपी को विवेचना अधिकारी बनाया गया है। शिकायत सरकंडा निवासी पवन कुमार ने की थी। पवन की शिकायत के अनुसार जितेंद्र प्रताप सिंह ने 28 जनवरी 2023 को सरकंडा थाने में धोखाधड़ी का आवेदन पेश किया था। इसमें तत्कालीन थाना प्रभारी ने अपराध दर्ज कर लिया था। विवेचना में जल्दबाजी दिखाते हुए 14 दिन के भीतर ही यानी 10 फरवरी 2023 को कोर्ट में चालान पेश कर दिया था। शिकायत पर प्रारंभिक रूप से जांच में गंभीर लापरवाही सामने आई। आईजी शुक्ला ने एसपी रजनेश सिंह को निर्देश दिए हैं कि वे एएसपी से इस केस की जांच कराए। 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।

2023 में दर्ज हुआ था मामला

28 जनवरी 2023 को कतियापारा निवासी जितेन्द्र प्रताप सिंह गढ़वाल ने सरकंडा थाने में धारा 420, 34 के तहत धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया। बताया था कि वह प्रॉइवेट जॉब में है। दीपक मौर्य उसका दोस्त है। दीपक के माध्यम से उसने जमीन खरीदी के लिए उत्तरप्रदेश, जिला उन्नाव के ग्राम लालपुर निवासी अरुण कुशवाहा व पवन कुशवाहा से संपर्क किया। दोनों ने उन्हें लिंगियाडीह में 28 डिसमिल जमीन दिखाई। 250 रुपए प्रतिवर्ग फीट के हिसाब से 30 लाख 52 हजार रुपए में खरीदने का सौदा किया। 10 फरवरी 2018 को अरुण कुशवाह्य व पवन कुशवाहा ने जमीन के एवज में 1 लाख रुपए एडवांस लेकर इकरारनामा किया। तीन माह के भीतर रजिस्ट्री करने का आश्वासन दिया पर नियत समय के बाद भी रजिस्ट्री नहीं कराई। झूठा आश्वासन देते रहे। अरुण कुमार कुशवाहा व उनके भाई पवन को झूठे मामले में फसाने के लिए जितेंद्र गढेवाल ने अपने पहचान के योगेश मिश्रा ने जमीन का फर्जी इकरारनामा तक तैयार कर लिया। जिसमें अरुण कुमार कुशवाहा के हस्ताक्षर नही हैं। लिखित आईडीएफसी चेक क्रमांक 000028 से 5,00,000 (पांच लाख रुपए) ट्रांसफर होना नही पाया गया है।

सरकंडा में तब फैजुल होदा शाह थे टीआई

सरकंडा थाने में जिस समय यह केस दर्ज हुआ उस समय फैजुल होदा शाह टीआई थे। एएसआई प्रदीप कुमार यादव और संगीता नेताम को विवेचना अधिकारी नियुक्त किया गया था। जिन्होने बिना मामलें की जांच किए ही अपराध दर्ज कर फर्जी दस्तावेज के आधार पर शिकायत कर्ता को जैल भेज दिया। मामले में सरकंडा थाने में ही एफआईआर कर 14 दिन में चलान डायरी पेश कर दिया गया था। जानकारी के अनुसार इस मामले में केस बनता ही नहीं था। पीड़ित व आरोपी दोनों ओर से लेनदेन करने के लिए इसे बनाया गया था, इसकी भी जांच होगी।

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