*खाद्य विभाग की जांच रिपोर्ट में रवि को ही दोषी ठहराया, अपराध दर्ज* *सरकारी राशन दुकानों में रवि परियानी का सीधा हस्तक्षेप, अधिकारियों की मिलीभगत से इस पूरे मामले को दिया अंजाम.?*
छत्तीसगढ़ उजाला
बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। एपीएल कार्ड को बीपीएल में बदलकर बीते दो साल से लाखों क्विंटल राशन की हेराफेरी करने वाला रवि परियानी पूरे मामले का सरगना है। खाद्य विभाग की जांच रिपोर्ट में रवि को ही दोषी ठहराया गया है। कलेक्टर ने उसके खिलाफ एफआईआर के लिए सिविल लाइन थाने को प्रतिवेदन भेजा है। कलेक्टर के निर्देश पर एफआईआर दर्ज हुई है, लेकिन गिरफ्तारी के डर से रवि भूमिगत हो गया है।
रवि परियानी बतौर सेल्समैन का काम करता है। वर्तमान में आशा खाद्य सुरक्षा पोषण उपभोक्ता सेवा सहकारी सोसाइटी (महिला समूह डीपूपारा ) आईडी 401001025, जय मां काली स्व सहायता समूह बिरकोना आइडी 401001139 और खैरमाता खाद्य सुरक्षा पोषण एवं उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति मर्यादित आइडी 401001134 का संचालन करता है। इसके अलावा अन्य सरकारी राशन दुकानों में रवि परियानी का सीधा हस्तक्षेप है। अधिकारियों की मिलीभगत से इस पूरे मामले को अंजाम दिया गया है। इसमें खाद्य विभाग से लेकर नगर निगम और वे दुकानदार जिनके नाम से दुकान आवंटित है, सभी का एक चैनल बना हुआ था। सभी ने मिलकर एपीएल कार्ड को बीपीएल में बदलकर लाखों क्विंटल राशन की हेराफेरी की है।
दरसअल, खाद्य विभाग की ओर से जनवरी 2022 से अक्टूबर 2023 के बीच बीपीएल कार्डधारियों के राशन कार्ड का नवीनीकरण किया गया था। इसकी आड़ में शहर के विभिन्न वार्ड सहित विशेष रूप से वार्ड क्रमांक 26, 27, 28, 29 और 30 के सैकड़ों हितग्राहियों के एपीएल कार्ड के नंबर को विलोपित कर बीपीएल में बदल दिए जाने की शिकायत मिली थी।
इस राजफाश के बाद खाद्य विभाग ने मामले की जांच कराई। इसमें विक्रेता रवि को दोषी ठहराया गया है। खाद्य विभाग ने कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन भेजा है। कलेक्टर ने एफआईआर के लिए सिविल लाइन थाने को निर्देशित किया है।
कलेक्टर ने सिविल लाइन थाने को विक्रेता रवि परियानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस अपने स्तर पर मामले की जांच कर रही है। हितग्राहियों के बयान दर्ज किए गए हैं। उनके आने के बाद कार्रवाई की जायेगी।
खाद्य विभाग का कहना है कि जांच में 19 कार्ड एपीएल से बीपीएल में बदला गया है। इनमें से 15 हितग्राहियों को पता था कि उनका बीपीएल कार्ड बना है, जबकि चार हितग्राहियों को इसकी भनक तक नहीं थी। सभी कार्ड नगर निगम के जोन कमिश्नर की अनुशंसा पर बने हैं।
ऐसे में कलेक्टर ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर जांच के निर्देश दिए थे। मामले में निगम आयुक्त अमित कुमार का कहना है कि जो चार हितग्राही थे उन्होंने बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए अर्जी दी थी। दुकानदार ने इन हितग्राहियों को बताया नहीं कि उनके नाम से बीपीएल कार्ड बना है और अंतर का राशन विक्रेता गबन कर रहा था।
पल्ला झाड़ रहा खाद्य विभाग
राशन कार्ड के लिए नगर निगम के जिम्मेदार बताकर खाद्य नियंत्रक और खाद्य निरीक्षक जिम्मेदारी से बचने का बहाना बना रहे हैं। अगर निगम ही जिम्मेदार है तो खाद्य नियंत्रक और खाद्य निरीक्षक की ड्यूटी क्या है? मतलब सरकारी सुविधा, साधन और है लेकिन कर्तव्य और जिम्मेदारी नहीं है।
अगर ऐसा है तो खाद्य मंत्री और नगरीय निकाय मंत्री के संज्ञान में लाकर कर्तव्य और जिम्मेदारी तय करनी चाहिए। नियम के अनुसार अधिकारी हर गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है। इनकी सहमति और संरक्षण के बगैर विभाग में पत्ता भी नहीं हिलता है।
सिविल लाइन टीआई प्रदीप आर्य का कहना है कि मामले में जांच पूरी हो गई है। मामले में एफआईआर दर्ज हो गयी है। आगे और भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
-प्रदीन आर्य, टीआई सिविल लाइन