*सुशासन की सरकार में परिवहन विभाग की पोल खोलने से जनसम्पर्क विभाग हुआ आगबबुला…..* *सत्यता को उजागर करने पर वेब पोर्टल को सरकारी विज्ञापन देना किया बंद……* *मामले की जानकारी से मुख्यमंत्री साय भी है अनभिज्ञ…..
●छत्तीसगढ़ उजाला रायपुर●
छत्तीसगढ़ की साय सरकार में अब ईमानदारी वाली पत्रकारिता को पसंद नहीं किया जाता है.ऐसा छत्तीसगढ़ में आज की परिस्थितियों को देखकर समझा जा सकता है.आज के समय में सच बोलना काफी कठिन कार्य है.छत्तीसगढ़ की सांय सरकार में अफसरों की अपनी मनमानी चरम पर है.सरकार की अच्छी छवि को ख़राब करने वाले अफसरों पर मुख्यमंत्री जी को कड़ी कार्रवाही करने की आवश्यकता है.मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सुशासन की सरकार को लेकर प्रयासरत है वो अपनी सरकार की अच्छी छवि को बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे है.छत्तीसगढ़ की सांय सरकार में भ्रष्ट अफसर अच्छी पत्रकारिता के खिलाफ है यह बात आज जनसम्पर्क विभाग ने साबित भी कर दी है.छत्तीसगढ़ के एक मीडिया ने परिवहन विभाग की लचर व्यवस्था को लेकर एक समाचार प्रकाशित किया था।विभाग मुख्यमंत्री साय के पास है।उनके विभाग में अफसरों की मिली भगत से बड़ा खेल किया जा रहा था।जिस खबर के प्रकाशित होने से जन संपर्क विभाग के आयुक्त इतने नाराज हो गए कि वेबपोर्टल मीडिया को नए विज्ञापन जारी नही करने का आदेश अपने मातहत अधिकारियों को दे दिया।
ईमानदारी से पत्रकारिता करने वालो को अब प्रताड़ित करना भी शुरू कर दिया.कांग्रेस की सरकार में यही वेबपोर्टल वाले भाजपा की बातो को जनता तक पहुंचाने का काम करते थे अब उन्ही वेब मिडिया वालो को भाजपा की सरकार में प्रताड़ित किया जा रहा है.सरकार में बैठे अफसर अपनी मनमानी करने पर उतारू है.हिंदुत्ववादी विचारधारा से जुड़े वेबपोर्टल मिडिया वालो को जनसम्पर्क विभाग के द्वारा निशाना बनाया जा रहा है.जनसम्पर्क में बैठे अफसर अपनी कुंठित सोच से सरकार के खिलाफ पार्टी समर्पित मिडिया वालो को ही खड़े करने का काम कर रहे है. छत्तीसगढ़ सरकार के जननायक मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की बेहतरीन छवि को बना पाने में जनसम्पर्क विभाग पूरी तरह से असफल नजर आ रहा है.अब छत्तीसगढ़ का जनसम्पर्क विभाग खिसियाई बिल्ली खम्बा नोचे की तर्ज पर प्रतीत हो रहा है.एक बेहतरीन मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने का काम करता हुआ नजर आता है.
इस मामले को लेकर जनसम्पर्क के सचिव पी दयानन्द से भी बात करने की कोशिश की पर इन्होने हमारा कॉल अटेंड नहीं किया.
साथ ही इस मामले में जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त मयंक श्रीवास्तव से बात करने की भी कोशिश की पर आयुक्त महोदय हमेशा की तरह काफी व्यस्त रहते है.इन्होने हमारा फ़ोन अटेंड नहीं किया.
कुल मिलाकर परिवहन विभाग के अंदर चल रहे खेल को उजागर करना इन अफसरों को अनुचित लगा जो अपने आप में अजीबोगरीब कहा जा सकता है.सुशासन वाली सांय सरकार में आज भी भ्रष्ट अफसरों की मनमानी चलायमान है.सूबे के मुख्यमंत्री भी जनसंपर्क के ऐसे तौरतरीकों से अनभिज्ञ भी है।सरल सहज मुख्यमंत्री की छवि जनप्रिय नेता के रूप में है। छत्तीसगढ़ की सांय सरकार में ईमानदारी से पत्रकारिता करना कितना कठिन है इस बात को आसानी से समझा जा सकता है.छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग देश के चौथे स्तम्भ को नुकसान पहुचाने के काम तक ही सीमित रह गया है।