सुशासन में बीजापुर आज भी विकास से कोसो दूर……. प्रसव के लिए खाट से गर्भवती महिला को उफनती नदी से अस्पताल ले जाते ग्रामीण…..
●छत्तीसगढ़ उजाला बस्तर●
आज भी चारपाई के भरोसे जीवन जीते बीजापुर के लोग। जिंदगी बचाने के लिए किस तरह लोग अपनी व्यवस्था कर रहे है… गर्भवती को उफनती नदी से अस्पताल जाने को आज भी हमारे लोग की दुर्दशा है।आखिर इसका जिम्मेदार कौन है।सरकार की योजनाएं आज भी कागजो तक ही सीमित है।बीजापुर बस्तर क्षेत्र में है।यहाँ आज भी कई ऐसे क्षेत्र है जहाँ विकास की गाथा लिखी ही नही गयी है।बड़ी बड़ी योजनाए केवल जनसम्पर्क के प्रचार प्रसार तक ही सीमित है।
बीजापुर के कमकानार तक बचाव दल के पहुंचने के पहले ही ग्रामीण चारपाई से नदी पार कर चुके थे…. गर्भवती महिला को प्रसव करवाने के लिए आज भी ग्रामीणों को अपनी व्यवस्था स्वयं करनी पड़ रही है।
बीजापुर, जिले के अंदरुनी क्षेत्र के गाव जहां मूलभुत सुविधाएं के लिए ग्रामीणों को आज भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिले के नदी पार गांव की स्थिति भी बेहद खराब है। सोमवार सुबह 10 बजे के लगभग गंगालूर तहसील के गाव कमकानार की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। परेशान परिजनों ने काही बचाव दल से संपर्क किया लेकिन सुविधाएं न मिलने पर चारपाई में गर्भवती को नदी पार कराया।
जानकारी के अनुसार कमकानार और रेड्डी के बीच एक बेरुदी नदी पड़ती है जो बारिश के कारण अपने उफान पर रही। इस समय कमकानार की गर्भवती महिला माहवी को प्रसव पीड़ा ज्यादा होने से नजदीकी अस्पताल में पहुंचाना था लेकिन बचाव दल व अन्य कोई सुविधा न मिलने पर ग्रामीणों ने जान को जोखिम में डालकर महिला को नदी पार कराया। नदी के समीप ही गर्भवती महिला रेनू माडवी का रेड्डी के डॉक्टर एन. कौशिक एवं नर्स द्वारा जांच के उपरांत एंबुलेस से अस्पताल भेजा गया। आजादी के 78 वे वर्ष के बाद भी आज मानव जीवन कितना कठिन है इसको समझा जा सकता है।सरकार की बाते केवल हवाहवाई ही रह गयी है।ग्रामीण आज भी नरकीय जीवन जी रहे है।इस घटना से प्रदेश के स्वास्थ्य और सड़क व्यवस्था की पोल खुलती है।अरबो रुपये फूंकने वाली सरकार को इस विषय मे मनन करने की आवश्यकता है।