पांच साल से पेंडिंग मामलों का नहीं हो रहा निराकरण
पांच साल से पेंडिंग मामलों का नहीं हो रहा निराकरण, होम और नगरीय विकास की सर्वाधिक पेंडेंसी
भोपाल । मप्र में लोकहित के मामलों का निराकरण करने में न तो विभाग और न ही अफसर रूचि ले रहे हैं। इससे विभागों में प्रकरणों को अंबार लग रहा है। सूत्रों का कहना है कि पांच साल से लंबित मामलों का निराकरण नहीं हो रहा है। मामलों का निराकरण करने में गृह विभाग फीसड्डी है। गृह विभाग में 518 मामले लंबित पड़े हैं जिनका निराकरण करना है। ये सभी मामले मुख्य सचिव मानिट के हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के पास विभिन्न विभागों से संबंधित ऐसे मामले जिनके निराकरण को प्रायरिटी दी जाती है और वे लोकहित से जुड़े होते हैं। ऐसे मामलों को सीएम या सीएस मानिट में शामिल किया जाता है और इसके लिए एक अलग सेल सीएम और सीएस मानिट की बनी हुई है। इस मानिट सेल में अत्यधिक प्रायरिटी वाले केस को ए प्लस, उससे कम प्राथमिकता वाले को ए, फिर बी और सी कैटेगरी मेंं शमिल किया जाता है।
विभाग और अधिकारी गंभीर नहीं
प्रदेश में मुख्य सचिव द्वारा सीएस मानिट में रखे जाने वाले प्रकरणों के निराकरण को लेकर विभाग और अधिकारी गंभीर नहीं हैं। इसका असर यह है कि सीएस मानिट में पांच साल से अधिक समय के केस पेंडिंग है और उनका निराकरण नहीं हो पा रहा है। सबसे अधिक 518 मामले गृह विभाग के पेंडिंग हैं। इसके बाद नगरीय विकास और आवास विभाग के 274 केस ऐसे हैं जिन पर एक्शन के लिए मुख्य सचिव ने उसे सीएस मानिट में रखा है लेकिन इनका निराकरण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में अब मुख्य सचिव वीरा राणा विभाग इसकी समीक्षा करने वाली हैं। इसके चलते मुख्य सचिव कार्यालय ने सभी विभागों को पोर्टल पर इसकी रिपोर्ट अपडेट करने के साथ मानिट रिव्यू मीटिंग में अफसरों को भेजने के लिए नोटशीट लिखी है।
इन विभागों के केस सर्वाधिक पेंडिंग
वैसे तो प्रदेश के हर विभाग में सीएस मानिट के मामले लंबित है, लेकिन कुछ विभाग ऐसे हैं जिनमें सर्वोधिक केस पेंडिंग हैं। गृह विभाग में 518, नगरीय विकास और आवास विभाग में 274, लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा में 252, राजस्व विभाग में199, सामान्य प्रशासन विभाग में 187, सामान्य प्रशासन मानव अधिकार में 102, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन में 85 और पर्यटन विभाग में 83 मामले लंबित है। लंबित मामलों में केन बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत पन्ना टाइगर रिजर्व को 5478 हेक्टर जमीन उपलब्ध कराई गई है। इस मामले में प्रभावित 21 गांवों की संपत्ति का सर्वे पूरा कर लिया गया है पर भू अर्जन और पुनर्वास प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। पांच साल पहले सीबीआई ने व्यापमं स्कैम में कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग ग्वालियर से चंबल निरीक्षण गृह, चंबल कालोनी ठाठीपुर के विश्राम भवन को उपयोग में लिया था। इसके लिए सीबीआई से किराया जमा कराने के लिए पत्र लिखा जा चुका है पर कार्रवाई पेंडिंग है। सांसद दिग्विजय सिंह ने टेम सिंचाई परियोजना तहसील लटेरी जिला विदिशा के डूब प्रभावित क्षेत्र की ग्राम पंचायतों बेरागढ़ मुंडेला, धीरगढ़ के प्रभावित लोगों को भूअर्जन और पुनर्वास का मामला उठाया था। इन किसानोंं को अब तक अवार्ड पारित होने के बाद भी मुआवजा नहीं मिला है। सीबीआई नेे मंदसौर जिले के गांधी सागर बांध और विद्युत परियोजना को लेकर कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग से जानकारी मांगी है जो एक साल बाद भी नहीं दी जा सकी है।
15 जुलाई से समीक्षा करेंगी सीएस
मुख्य सचिव वीरा राणा के निर्देश पर 15 जुलाई से 29 जुलाई तक अलग-अलग विभागों की रिव्यू मीटिंग बुलाई गई है। इसमें विभागों से सीएस मानिट में डाले गए मामलों के निराकरण में होने वाली देरी का कारण पूछा जाएगा। साथ ही इसके जल्द से जल्द निराकरण के लिए कहा जाएगा। इसको लेकर पूर्व में जून माह के अंतिम सप्ताह में मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा सभी विभागों को पत्र लिखकर सीएस मानिट के मामलो के त्वरित निराकरण के लिए कहा गया था लेकिन एक पखवाड़े बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। इसलिए अब तेजी से रिव्यू किया जाएगा।