भावी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते। हेमंत सोरेन के निशाने पर भाजपा है। वे इसके लिए दो मोर्चे पर तैयारी करेंगे। सरकार के स्तर पर कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाते हुए उनका फोकस नियुक्तियों पर होगा।
अभी आदर्श चुनाव आचार संहिता लगने में देर है, लिहाजा इस समय का वे सदुपयोग करना चाहते हैं। पार्टी के रणनीतिकार इसी लिहाज से तैयारी भी कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के परिणाम से उनका मनोबल बढ़ा है। वे जीत के अभियान को आगे बढ़ाने की हर संभव कोशिश करेंगे।
पांचों आदिवासी सुरक्षित लोकसभा सीटों पर गठबंधन की कामयाबी के पीछे हेमंत सोरेन के प्रति उभरी सहानुभूति भी बड़ा कारण है। विधानसभा चुनाव में वे इसे भाजपा के विरुद्ध कारगर हथियार बनाएंगे।
हेमंत सोरेन की कोशिश संताल परगना और कोल्हान में फिर से प्रदर्शन दोहराने की होगी। वे नए क्षेत्रों की तलाश भी कर रहे हैं, जहां से जीत की संभावना वाले चेहरों को वे अपने साथ ला सकते हैं।
हेमंत सोरेन लगातार केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ मुखर है। चुनाव आते-आते वे इसे और धार देंगे। हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद ईडी को भी झटका लगा है। वे कार्रवाई की आड़ में विरोधियों पर निशाना साधेंगे।
बेहतर तालमेल पर रहेगा फोकस
विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन का फोकस साथी दलों के साथ बेहतर तालमेल पर होगा। कांग्रेस का कदम-कदम पर साथ लेकर उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि यह सहयोग और बेहतर होगा। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर पूरे घटनाक्रम में उनके साथ रहे।
उन्होंने जेल जाकर भी उनसे मुलाकात की थी। गठबंधन के विधायकों की बैठक में भाग लेने के लिए वे खास तौर पर दिल्ली से आए। अब सीट शेयरिंग में भी तालमेल की पूरी कोशिश वे अपने स्तर से करेंगे।
पत्नी कल्पना सोरेन का भी होगा साथ
हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में झामुमो को कल्पना सोरेन के रूप में स्टार प्रचारक मिला। वह विधायक भी बन चुकी हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन को प्रचार अभियान में मदद मिलेगी।
कल्पना सोरेन आइएनडीआइए की बैठकों में भी सक्रिय रहीं हैं। उनका गठबंधन के नेताओं से बेहतर संपर्क है। ऐसे में हेमंत सोरेन के साथ वह चुनावी अभियान में भाजपा के लिए नई चुनौती के तौर पर दिखेंगी।