*स्वास्थ्य मंत्री जी डॉक्टरों के ट्रांसफर में हो गया बड़ा ‘खेला’ :स्वास्थ्य विभाग ने जूनियर चिकित्सको को बना दिया CMHO, न्यायालय से स्टे लाने मजबूर हुए चिकित्सक….*
रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला। प्रदेश की सांय सरकार में सस्वास्थ्य विभाग की चर्चा सबसे ज्यादा बनी हुई है। कभी सामानों की खरीदी में या कभी तबादलो के खेल को लेकर बाते बाजारों में खूब चलती है।बीते दो माह के भीतर किश्तों में स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों की तबादला सूची जारी की है। पहली नजर में तो ऐसा दिखाई देता है कि जिला अस्पतालों में रिक्तियों के आधार पर डॉक्टरों के तबादले किये गए हैं, मगर जानकर बताते हैं कि इन तबादलों में पूरा उलट-फेर किया गया है और स्थानांतरण नीति का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है। यही वजह है कि इस तरह किये गए एक तबादले को लेकर हाई कोर्ट की शरण लेने वाले CMHO को स्टे मिल गया है। इसे देखते हुए कई अन्य डॉक्टर भी न्यायालय जाने को मजबूर हो रहे है।
एक CMHO को तबादला आदेश के खिलाफ कोर्ट से मिला स्थगन
स्वास्थ्य द्वारा 29 जुलाई को जारी तबादला आदेश में जिला मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी के जिला अस्पताल के प्रभारी CMHO डॉ एस आर मंडावी को इस पद से हटाते हुए इसी अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी बना दिया गया। वहीं उनके स्थान पर राजनांदगांव के घुमका स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के पदस्थ BMO डॉ विजय खोब्रागढ़े को प्रभारी CMHO के पद पर पदस्थ कर दिया गया है। सेवाकाल की बात करें तो डॉ खोब्रागढ़े CMHO डॉ एस आर मंडावी से काफी जूनियर हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का यह आदेश डॉ मंडावी को काफी नागवार गुजरा। उन्होंने तत्काल हाई कोर्ट बिलासपुर में याचिका दायर की और अपना पक्ष रखते हुए बताया कि वरिष्ठ की जगह कनिष्ठ को प्रमुख पद पर पदस्थ करना राज्य सरकार के 1 अगस्त 2011 को जारी आदेश का उल्लंघन है।
इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने डॉ मंडावी के पक्ष में स्टे आदेश जारी कर दिया है।
छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से यह स्पष्ट आदेश है कि अधिकारियों-कर्मियों की पदस्थापना में ‘वरिष्ठता सह योग्यता’ के मापदंडों का पालन किया जाये। मगर बीते दो महीने में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश पर नजर डालें तो पता चलता है कि इसमें वर्तमान में जिला अस्पतालों में CMHO (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) का प्रभार देख रहे वरिष्ठ चिकित्सकों को हटाकर वापस विशेषज्ञ चिकित्सक बना दिया गया है, वहीं उनके स्थान पर चिकित्सा अधिकारियों को CMHO की कुर्सी पर बिठा दिया गया है, जबकि चिकित्सा अधिकारी काफी जूनियर होते हैं।बता दें कि अमूमन स्वास्थ्य विभाग में किसी MBBS डॉक्टर की पहली नियुक्ति चिकित्सा अधिकारी के पद पर ही होती है। वहीं CMHO या सिविल सर्जन के पद पर काफी वरिष्ठ चिकित्सकों की पदस्थापना होती है। तबादला आदेश पर नजर डालें तो इनमें से अधिकांश चिकित्सा अधिकारियों को CMHO बनाकर तबादले पर भेजा गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी तबादला आदेशों के बारे में जानकर बताते हैं कि इसमें काफी विसंगतियां हैं। आलम यह है कि CMHO के पद पर बैठे जिन डॉक्टरों के रिटायरमेंट के चंद माह ही रह गए हैं, उन्हें भी कुर्सी से उतारकर सीधे चिकित्सा विशेषज्ञ बना दिया गया है, और उनसे काफी जूनियर को कुर्सी पर बैठने का आदेश दे दिया गया है। मनेन्द्रगढ़ के जिला अस्पताल के CMHO डॉ एस के तिवारी की सेवानिवृत्ति को 7 माह रह गए हैं, उनके कार्यकाल के मुताबिक वे सुपर क्लास वन ऑफिसर हैं, अब उनके स्थान पर कांकेर जिले में पदस्थ BMO डॉ अविनाश खरे को CMHO बनाने का आदेश दिया गया है। डॉ तिवारी से भी सीनियर सरगुजा जिला अस्पताल के CMHO और जॉइंट डायरेक्टर डॉ आर एन गुप्ता हैं, जिनकी सेवानिवृत्ति के केवल 4 माह बचे हैं, उन्हें नेत्र रोग विशेषज्ञ बनाते हुए लखनपुर के BMO डॉ प्रेम सिंह मार्को को CMHO बना दिया गया है। इसी तरह महासमुंद जिला अस्पताल के CMHO डॉ पीके कुदेशिया अगले साल रिटायर हो रहे हैं, उन्हें वापस सर्जन बनाते हुए उनसे लगभग 20 साल जूनियर तुमगांव में पदस्थ MD डॉ कुलवंत सिंह अजमानी को CMHO बना दिया गया है।
शासकीय सेवा में वरिष्ठ अधिकारी या कर्मचारी को उनके सेवा में वरिष्ठता के मुताबिक पद पाने का अधिकार होता है। ‘वरिष्ठता सह योग्यता’ के कई आदेश समय-समय पर स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों में भेजे गए हैं, जिसके मुताबिक वरिष्ठतम योग्य व्यक्तियों को ‘चालू प्रभार’ सौंपने को कहा गया है। मगर स्वास्थ्य विभाग में फिलहाल जो तस्वीर सामने आ रही है, उसके मुताबिक कई वरिष्ठ चिकित्सक अपने कनिष्ठ (जूनियर) डॉक्टरों के अधीन काम करेंगे।स्वास्थ्य विभाग में एक बात की चर्चा जोरों पर है कि राजधानी में इस पूरे खेल में करोड़ो का वारा न्यारा हो गया है।मंत्री जी आपके विभाग में यह सब खेल किसके सहभागिता से हो रहा है इस पर भी तो मनन कर लो.नियम विरुद्ध कार्यो से विभाग की इमेज खराब हो रही है।छत्तीसगढ़ की सांय सरकार के सुशासन की इमेज को स्वास्थ्य विभाग ही बट्टा लगाने में लगा हुआ है।अब सूबे के मुख्यमंत्री इस मामले में क्या कार्रवाही करते है यह देखना बाकी है।