भोपाल । मप्र सरकार दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बोनस या इंसेटिंव के रूप में किसानों को राशि देने की तैयारी में है। यह बोनस प्रति लीटर दूध पर दिया जाएगा। जिसके लिए पशुपालन विभाग परियोजना परीक्षण समिति से अंतिम निर्णय लेकर प्रस्ताव शासन को भेजेगा। इसके बाद कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। प्रदेश सरकार ढाई लाख किसानों से सोसायटी से दूध की खरीदी करती है, और बोनस का फायदा इन किसानों को होगा।
प्रदेश सरकार ढाई लाख किसानों से सोसायटी के माध्यम से खरीदती है दूध
सीएम मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव के पहले गुजरात का दौरा कर वहां अमूल डेयरी के अफसरों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में एमपी के दूध उत्पादन को बढ़ावा देने पर अमूल ग्रुप के साथ चर्चा के बाद एक एमओयू भी हुआ था। इसके उपरांत सीएम मोहन यादव ने दूध का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अफसरों को दूध पर बोनस या इंसेंटिव देने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा था। अब यह प्रस्ताव तैयार हो गया है, और जल्दी ही मंजूरी के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा। एमपी स्टेट कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन के एमडी सतीश कुमार एस. ने कहा कि किसानों को इंसेटिव देने की प्लानिंग चल रही है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय कैबिनेट बैठक में ही होगा। तभी इसकी वस्तु स्थिति और कितना इंसेंटिव दिया जाएगा। इसकी जानकारी दी जा सकती है। प्रस्ताव अभी परियोजना परीक्षण समिति में विचाराधीन है। सोसायटी में ढाई लाख किसान दूध बेचते हैं।
सात हजार समितियों, 6 दुग्ध संघ से कलेक्शन
जिलों में दूध कलेक्शन दुग्ध सहकारी समितियां और दुग्ध संघ करते हैं। प्रदेश में 7000 ग्रामीण दुग्ध सहकारी समितियां हैं। इसके साथ ही प्रदेश में 6 सहकारी दुग्ध संघ है जिनके मुख्यालय भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर एवं सागर में हैं। राज्य स्तर पर एमपी स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) कार्यरत हैं जो इसकी मॉनिटरिंग करता है। सरकार ने एक साल पहले दी जानकारी में बताया था कि प्रदेश के 6 दुग्ध संघों से रोज 8 लाख 35 हजार 296 लीटर दूध एकत्रित किया जाता है। 6 हजार 593 दुग्ध समितियों से भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर और बुंदेलखंड दुग्ध संघ 2 लाख 29 हजार 702 दुध बेचने वालों से दूध खरीदते हैं। इसमें से रोज 7 लाख 16 हजार 465 लीटर दूध उपभोक्ताओं को बेचा जाता है।