मध्यप्रदेशराज्य

नरवाई जलाने से पहले किसान भाई गांठ बांध लें ये बात, वरना भरना पड़ सकता है 15000 का जुर्माना

सागर. बारिश का सीजन शुरू होने से पहले किसान अपने खेतों की सफाई करते है. इसके लिए आजकल हार्वेस्टर से गेहूं या धान की कटाई करवाने के बाद खेत में जो नरवाई या पराली रह जाती है, किसान उसमें आग लगा देते हैं. नरवाई में आग लगाने से भूमि की जैव विविधता समाप्त हो जाती है. भूमि के सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं. फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है. इससे जलधारण क्षमता कम होती है. खेत की सीमा पर पेड़-पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं. पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है. वातावरण के तापमान में वृद्धि से भूमि गर्म होती है. इसके लिए शासन और प्रशासन के द्वारा भी तमाम तरह के प्रयास किया जा रहे हैं, लेकिन शासन सख्ती से इसको रोकने के मूड में आ गया है, क्योंकि ऐसा करने वाले खेत मालिकों को अब भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है.

नरवाई जलाने पर 15 हजार तक का जुर्माना
सागर के कृषि अधिकारी जितेंद्र सिंह राजपूत ने बताया कि दो एकड़ तक की नरवाई जलाने वाले किसानों को ढाई हजार का जुर्माना, 2 से 5 एकड़ नरवाई जलाने के लिए पांच हजार का जुर्माना, या इससे बड़े खेत में अगर ऐसा पाया जाता है तो 15000 तक के जुर्माना का प्रावधान किया गया है. किसान भाई अगर इस जुर्माना से बचना चाहते हैं. पर्यावरण को संरक्षण रखने के लिए धरती पर मौजूद जीव की पतंग के लिए, अपनी मिट्टी के लिए किसान नरवाई को जलाना बंद करें, और यह जो कुप्रथा चली आ रही है, उसको बंद करने में साथ दें.

नरवाई जलाने से मिट्टी को भारी नुक्सान
बुंदेलखंड में जिन किसानों के पास सिंचाई पानी की व्यवस्था होती है. बाहर गेहूं और धान की खेती करते हैं. आजकल मजदूरों की जगह हार्वेस्टर ने ले ली है. खेत में हार्वेस्टर चलने से अन्न तो निकल आता है, लेकिन उसकी नरवाई खेत में ही रह जाती है. अगर इस नरवाई को खेत से ना भी उठाया जाए, तो यह खाद्य बनने का काम कर सकती है, लेकिन खेतों को साफ सुथरा करने जुताई से पहले अधिकांश किसान उसमें आग लगा देते हैं. जो काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है, एक तो इसमें उपजाऊ मिट्टी बंजारा होने की तरफ बढ़ रही है. दूसरा पर्यावरण को बहुत अधिक नुकसान हो रहा है धरती को उर्वरक बनाने में जो छोटे-छोटे से कीट पतंग होते हैं, चाहे वह हमारे लिए लाभदायक हो या हानिकारक हो, वह भी इसमें जल कर स्वाहा हो रहे हैं, इसकी वजह से प्रकृति का संतुलन भी गड़बड़ा रहा है. शासन और प्रशासन के द्वारा किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. इसके फायदे और नुकसान बताए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद किसान नरवाई जलाना कम नहीं कर रहे हैं, इसलिए अब जुर्माने की राशि भी वसूली जा सकती है.

News Desk

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