मध्यप्रदेशराज्य

हिसाब-किताब देने से कतरा रहे जिला पदाधिकारी

  • लापरवाह जिलाध्यक्षों पर भाजपा कसेगी नकेल

भोपाल । विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब भाजपा का पूरा फोकस संगठनात्मक गतिविधियों और संगठन को मजबूत करने पर है। लेकिन इस दौरान पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि कई जिलों के पदाधिकारियों ने अभी तक अपने खर्चों का हिसाब-किताब तक नहीं दिया है। इसके लिए भाजपा संगठन ने उन सभी जिला अध्यक्षों को ताकीद कर जल्द से जल्द ऑडिट रिपोर्ट और चुनावी खर्च का ब्यौरा देने के लिए निर्देशित किया है जिन्होंने संगठन को अब तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है।
मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के प्रदेश के 58 संगठनात्मक जिलों में से 30 जिलों ने अब तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को नहीं भेजी है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में 41 जिलों ने खर्च का हिसाब-किताब नहीं दिया है। कुछ जिले अब भी ऐसे हैं जहां से विधानसभा के चुनाव खर्च का अब तक पूरा हिसाब नहीं आया है। प्रदेश संगठन ने इन जिलों से जल्द से जल्द हिसाब भेजने को कहा है। लोकसभा चुनाव का परिणाम आए एक माह से अधिक का समय हो चुका है। लेकिन प्रदेश के 41 जिलों से पार्टी कार्यालय को अभी तक चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं मिल सका है। इसी प्रकार प्रतिवर्ष जिलों में पार्टी के खर्च का हिसाब-किताब रखने के बाद ऑडिट रिपोर्ट तैयार की जाती है, लेकिन जुलाई माह के 10 दिन के बाद भी करीब 30 संगठनात्मक जिलों ने ऑडिट रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को नहीं भेजी है। इसी को लेकर प्रदेश कार्यालय से इन सभी जिलों को रिमांडर भेजा गया है कि एक सप्ताह के अंदर यह सभी जिले अपनी रिपोर्ट भेज दें।

 

जिला अध्यक्षों को रिमांडर भेजा


उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा प्रत्येक प्रत्याशी को करीब 95 लाख तक खर्च करने की सीमा तय की गई थी। इसके बाद कई प्रत्याशियों ने आयोग को अपना चुनाव खर्च का ब्यौरा तो भेज दिया था, लेकिन पार्टी द्वारा प्रत्येक जिले में जो खर्च किया है उसको लेकर जिला कमेटियों ने कोई हिसाब-किताब अभी तक नहीं दिया है। इसी को लेकर पार्टी ने ऐसे जिला अध्यक्षों को रिमांडर भेजा है कि वह अपनी ऑडिट रिपोर्ट और लोकसभा चुनाव में किया गया खर्च का हिसाब-किताब पार्टी कार्यालय को जल्द से जल्द भेजें। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी जिला अध्यक्षों से जल्द से जल्द हिसाब भेजने का कह रही है पर अधिकांश जिले संगठन की बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही वजह है कि भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में भी यह मुद्दा उठा था। पार्टी के कार्यालय प्रभारी और प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने मंच से ही सभी जिलाध्यक्षों को जल्द से जल्द खर्च का हिसाब देने को कहा था। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद अब जिलों को स्मरण पत्र भेजा गया है। जिलों के द्वारा जो ऑडिट रिपोर्ट पार्टी के प्रदेश कार्यालय को भेजी जाती है उसमें पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा जमा कराई गई आजीवन सहयोग निधि का भी उल्लेख रहता है। इसी निधि से पार्टी के अधिकांश जिलों में पार्टी के कामों में पैसा खर्च किया जाता है। आजीवन सहयोग निधि का एक हिस्सा केंद्र को, एक प्रदेश संगठन के पास और बाकी जिलों में रहता है। भाजपा प्रदेश कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन का कहना है कि ऑडिट रिपोर्ट और लोकसभा चुनाव के खर्च का ब्यौरा हमने इसलिए मांगा है कि हम इसे पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय तक जल्द से जल्द पहुंचा सकें, ताकि यह खर्च का ब्यौरा पार्टी की साइट पर अपलोड हो सके जिससे यह पता चल जाए कि पार्टी के द्वारा कितनी ईमानदारी के साथ कितना पैसा कहां खर्च किया गया है।

 

 जिला एवं मंडल कार्यसमिति की बैठकें शुरू


उधर, प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद अब भाजपा की जिला एवं मंडल स्तर की कार्यसमिति की बैठक प्रारंभ हो गई है। पार्टी ने इन बैठकों के लिए 10 जुलाई से 15 जुलाई का समय तय किया है। माना जा रहा है इन बैठकों को इस लिए जल्द से जल्द किया जा रहा है कि इसके बाद पार्टी अपना सदस्यता अभियान प्रांरभ कर सके। जिला एंव मंडल स्तर की कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के आगामी कार्यों को लेकर भी विचार विमर्श किया जाएगा। इन बैठकों में पार्टी के सांसद एवं विधायक भी शामिल होंगे।

News Desk

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