हाई कोर्ट में पराजित प्रत्याशियों ने दायर की है चुनाव याचिका, फैसला होते तक चार विधानसभा क्षेत्र की ईवीएम का डेटा रखना होगा सुरक्षित प्रतीकात्मक चित्र, पाटन की स्थिति दिलचस्प
छत्तीसगढ उजाला
बिलासपुर(छत्तीसगढ उजाला)। पाटन, पत्थलगांव, पाली-तानाखारा व सीतापुर विधानसभा क्षेत्र की ईवीएम का डेटा को संबंधित जिला निर्वाचन कार्यालय को सुरक्षित रखना होगा। इन विधानसभा क्षेत्र के पराजित उम्मीदवारों ने अपने अधिवक्ताओं के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर की है। इसमें उम्मीदवारों ने अलग-अलग आरोप लगाए हैं। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी की गई थी। तीन दिसंबर को मतगणना के लिए आयोग ने तिथि तय कर दी थी। तय तिथि में प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों के वोटों की गिनती प्रारंभ हुई। मतगणना के बाद विजयी प्रत्याशियों को जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रमाण पत्र जारी किया।
चार विधानसभा क्षेत्र की ईवीएम का डेटा रखना होगा सुरक्षित
चुनाव परिणाम के बाद पराजित उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करना प्रारंभ कर दिया है। चुनाव याचिका दायर होने की स्थिति में सबसे बड़ी भूमिका जिला निर्वाचन कार्यालय की हो जाती है। जिला निर्वाचन कार्यालय को संबंधित विधानसभा सीट की ईवीएम का डेटा को सुरक्षित रखना पड़ता है। वर्तमान में छग हाई कोर्ट में चार विधानसभा सीटों के पराजित प्रत्याशियों ने चुनाव याचिका दायर की है। दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा, जशपुर जिले के पत्थलगांव, अंबिकापुर जिले के सीतापुर विधानसभा व कोरबा जिले की पाली-तानाखार विधानसभा की ईवीएम के डेटा को जिला निर्वाचन कार्यालय ने सुरक्षित रख लिया है। हाई कोर्ट के फैसला तक ईवीएम को सुरक्षित रखने की चुनौती भी इनके सामने रहेगी।
चार याचिका, याचिकाकर्ता ने लगाए यह आरोप
पुनर्गणना की मांग को जिला निर्वाचन अधिकारी ने कर दिया खारिज पत्थलगांव विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व विधायक रामपुकार सिंह ने हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि मात्र 255 वोट के अंतर से वे पराजित हुए हैं। पुनर्गणना की उनकी मांग को जिला निर्वाचन अधिकारी ने खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने वीवीपैट समेत पोस्टल बैलेट काउंटिंग में भी गडबड़ी का आरोप लगाया है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने नवनिर्वाचित विधायक गोमती साय समेत छह अन्य उम्मीदवार को नोटिस जारी जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट को बताया कि इस चुनाव में पोस्टल बैलेट का हिसाब किताब नियमानुसार नहीं रखा गया और बड़ी संख्या में याचिकाकर्ता को मिले मत निरस्त घोषित हुए हैं। वहीं वीवीपैट का मिलान भी ईवीएम से नहीं किया गया है। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद 28 फरवरी को नियत की गई है।