सावन में भगवान शिव को अर्पित किया जाता है ये खास प्रसाद, खरीदने के लिए दुकानों पर लगने लगती है भीड़
मुजफ्फरपुर. सावन के महीने में जब आप वैधनाथ धाम, गरीब नाथ धाम या भगवान शिव के किसी भी धाम में जल चढ़ाने जाएंगे तो वहां एक प्रसिद्ध प्रसाद जिसका नाम इलायची दाना है वह आपको जरूर दिखेगा. वहीं, इस साल सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. इस महीने में कांवड़िये व शिवभक्त चूड़ा व इलायची दाने का प्रसाद भगवान शिव को अर्पित करते हैं. इसलिए सावन में इसकी अच्छी बिक्री होती है. यहां से पूरे जिले में इलायची दाने का कारोबार होता है. शहर के आधा दर्जन कारखानों में इसके उत्पादन में तेजी आ गई है. हर कारखाने से रोज पांच से छह क्विंटल का कारोबार हो रहा है. फिलहाल रोज 36 क्विंटल इलायची दाना की बिक्री हो रही है. शहर के विभिन्न दुकानों के अलावा गांवों के होल सेलर यहां खरीदारी कर रहे हैं.
कारखाना संचालक नागेंद्र साव ने बताया कि कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन पूरे महीने में करीब 15 से 20 लाख तक इलाचयी दाना का कारोबार हो जाता है. वैसे इसकी कोई लिमिट नहीं है. इस कारोबार को वह बीते 40 साल से कर रहे हैं. वहीं सावन को देखते हुए एक सप्ताह पहले से ही कारखानों में दिन-रात उत्पादन किया जा रहा है. गांवों के खरीदारों को शुक्रवार तक डिमांड पूरी करनी है. पहली सोमवारी के लिए जितनी मांग हो रही है, उतनी सप्लाई नहीं दे पा रहे हैं. एक सोमवार के बाद मांग में थोड़ी कमी आएगी. यहां से इलाइची दाना मुजफ्फरपुर के अलावा सीतामढ़ी, दरभंगा, शिवहर, वैशाली समेत कई जिलों में जाता है.
ऐसे तैयार होता है इलाइची दाना
करोबारी ने आगे बताया कि सावन में इलायची दाने की बिक्री सबसे अधिक होती है. बाहर से आने वाले कांवड़िये जलार्पण के बाद चूड़ा व इलायची दाना की खरीदारी करते हैं इस कारण इसकी मांग सावन के प्रत्येक रविवार व सोमवार को अधिक होती है. इसके अलावा पूरे महीने मंदिर में पूजा करने वाले भक्त भी खरीदारी करते हैं. लोकल 18 से बात करते हुए कारीगर ने बताया कि इसको बनाने के लिए पहले चाशनी तैयार की जाती है उसके बाद मशीन में उसको रख कर तैयार किया जाता है. इसको बनाने में लगभग एक से पौन घंटा लगता है.