बिलासपुर

भारतीय न्याय संहिता में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का आया पहला फैसला, नए कानून के तहत मामले मुकदमों की सुनवाई हाई कोर्ट में प्रारंभ

छत्तीसगढ़ उजाला

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। नए कानून के तहत मामले मुकदमों की सुनवाई हाई कोर्ट में प्रारंभ हो गई है। भारतीय न्याय संहिता के तहत छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का पहला फैसला भी आ गया है। सिपाही से मारपीट के आरोपितों का जमानत आवेदन डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है।
डोंगरगढ़ के रेलवे स्टेशन में पार्किंग के विवाद के दौरान सिपाही से याचिकाकर्ताओं ने मारपीट की घटना को अंजाम दिया था। अग्रिम जमानत आवेदन पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का यह पहला फैसला है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत दिए गए आदेश में सिंगल बेंच ने रेलवे स्टेशन की पार्किंग में आरक्षक के साथ मारपीट के आरोपितों के अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। राजनांदगांव के डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन में बीते छह जून 2024 को पार्किंग के विवाद को लेकर आरक्षक आदित्य शर्मा के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की थी। मामले की शिकायत थाने में दर्ज कराई गई। पहले आइपीसी की धारा 294,323, 34, 506 के तहत मारपीट की एफआइआर दर्ज की गई थी। बाद में पीड़ित के जीआरपी कांस्टेबल होने के कारण आइपीसी 186, 332, 353, 325/34 के तहत लोक सेवक से मारपीट की धारा जोड़ी गई। एफआइआर के अनुसार शिकायतकर्ता आरक्षक की बाइक आरोपितों ने क्षतिग्रस्त कर दी थी। पुलिस ने मो. अरशद खान, हर्ष राव और अकरम खान को आरोपित बनाया था। इसमें से दो आरोपितों मो. अरशद खान और हर्ष राव की अग्रिम जमानत अर्जी पहले ही खारिज की जा चुकी है। अकरम खान ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन पेश किया था। मामले की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस ने अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है।
देश में एक जुलाई से नया कानून लागू होने के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर हाई कोर्ट नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत आइपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) को एक जुलाई 2024 से प्रभावशील कर दिया है। नए कानूनों के प्रभावी होने के कारण अग्रिम जमानत अर्जी पर भारतीय न्याय संहिता के तहत चीफ जस्टिस सिन्हा ने निर्णय दिया है।

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