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गर्मी न सहने के कारण हो रही चमगादड़ो की मौत

हजारीबाग। देशभर में गर्मी का कहर जारी है। स्थिति बेकाबू हो गई है। नौ दिनों तक सूर्य की किरणें सीधे धरती पर गिरकर आग बरसाएंगी। हजारीबाग भी नौतपा से परेशान है। यहां भी अधिकतम तापमान 43 से 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।

24 घंटे में एक हजार से अधिक चमगादड़ों की मौत

इस भीषण गर्मी के कारण पदमा के सरैया पाठक टोला में सैकड़ों चमगादड़ों की मौत हो गई है। पदमा राज के समय से ही ये चमगादड़ आशियाना बनाकर रह रहे हैं। बताया जा रहा कि बीते 24 घंटे में एक हजार से अधिक चमगादड़ों की मौत हो गई है। आलम यह है कि कई चमगादड़ पेड़ पर लटके अवस्था में ही मर चुके हैं। ग्रामीणों की मानें तो दो दिनों मे इनकी मौत की तादाद में काफी इजाफा हुआ है।

चमगादड़ों को बचाने के लिए किया जा रहा हर संभव प्रयास

ज्ञात हो की सरैया चट्टी पाठक टोला अवस्थित पीपल, बरागद, इमली, सेमल, आम के पेड़ो पर सौ वर्षों से अधिक समय से ये रह रहे हैं। कई लोग इनके मांस का सेवन भी करते हैं। वैसे कोरोना संक्रमण के बाद से लोग डर गए हैं। इनके शिकार में काफी कमी आई है। विशेषज्ञों से प्राप्त जानकारी के बाद पाठक टोला के ग्रामीण पेड़ व आसपास के क्षेत्रों में तापमान को नियंत्रित करने के लिए पानी का छिड़काव कर रहे हैं। युवकों की टोली इन चमगादड़ों को बचाने में जुटी हुई है।

अधिक तापमान नहीं सह पाते चमगादड़: जीव वैज्ञानिक

जीव विज्ञानी सह पर्यावरणविद डा. मुरारी सिंह कहते हैं कि चमगादड़ों के पंख नहीं झिल्ली होती है। वे अधिक तापमान नहीं सह पाते हैं। उन स्थानों पर चमगादड़ों की मौत हो रही जहां जलस्रोत नहीं है। भीषण गर्मी सहन नहीं कर पा रहे हैं। झील परिसर स्थित उपायुक्त आवास में भी हजारों चमगादड़ रहते हैं, लेकिन उनकी मौत नहीं हो रही, वजह पास में ही जलस्रोत है। गर्मी दूर करने के लिए झील में गोता लगा लेते हैं। इनके शरीर का तापमान कम हो जाता है।

News Desk

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