भोपाल। मप्र में मुख्य सचिव द्वारा सीएस मानिट में रखे जाने वाले प्रकरणों के निराकरण को लेकर विभाग और अधिकारी गंभीर नहीं हैं। इसका असर यह है कि सीएस मानिट में पांच साल से अधिक समय के केस पेंडिंग है और उनका निराकरण नहीं हो पा रहा है। दरअसल, सीएम मानिट में अधिकारियों की मनमानी चल रही है। आलम यह है कि जरूरी सिफारिशों को प्राथमिकता तक नहीं दी जा रही है। इसका खामियाजा यह हो रहा है कि जरूरतमंदों की समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हो पा रहा है। सबसे अधिक 518 मामले गृह विभाग के पेंडिंग हैं। इसके बाद नगरीय विकास और आवास विभाग के 274 केस ऐसे हैं जिन पर एक्शन के लिए मुख्य सचिव ने उसे सीएस मानिट में रखा है लेकिन इनका निराकरण नहीं हो पा रहा है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के पास विभिन्न विभागों से संबंधित ऐसे मामले जिनके निराकरण को प्रायरिटी दी जाती है और वे लोकहित से जुड़े होते हैं। ऐसे मामलों को सीएम या सीएस मानिट में शामिल किया जाता है और इसके लिए एक अलग सेल सीएम और सीएस मानिट की बनी हुई है। इस मानिट सेल में अत्यधिक प्रायरिटी वाले केस को ए प्लस, उससे कम प्राथमिकता वाले को ए, फिर बी और सी कैटेगरी मेंं शमिल किया जाता है। लेकिन सिफारिशों की केटेगिरी देखकर ऐसा लगता है कि मप्र के अफसरों को इसका ज्ञान ही नहीं है कि कौन सी सिफारिश को किस केटेगरी में रखा जाए।
सिफारिशों की अजीबोगरीब श्रेणियां
मुख्यमंत्री मॉनिट में निपटाए जाने वाले मामले भी अजीबोगरीब श्रेणियों में देखने को मिलेंगे। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सीएम मोहन यादव से सिफारिश की है कि टीकमगढ़ शहर को पेयजल व्यवस्था के लिए जमरार बांध से पानी प्रदाय किया जाए। इस सिफारिश को अफसरों ने बी केटेगिरी में रखा है। जबकि पूर्व स्पीकर गिरीश गौतम एक कार्यपालन यंत्री का तबादला कराना चाहते है, इसलिए इस सिफारिश को ए-प्लस की श्रेणी में रखा गया है। मुख्यमंत्री मॉनिट में आने वाली समस्याएं, विकास कार्य और तबादलों को लेकर मंत्री, सांसद एवं विधायक सहित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों द्वारा की जाने वाली सिफारिशों पर किस केटेगिरी में काम करना है, उसके लिए श्रेणियां दी गई है। यदि ए-प्लस और ए श्रेणी है तो वह काम तत्काल होना है। यदि सीएम मॉनिट में बी श्रेणी है तो बजट आदि की व्यवस्था कर काम कराए और सी श्रेणी दी गई है तो इस काम को आराम से किया जाए। सीएम मॉनिट में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले नहीं रखे जाते है, लेकिन विकास कार्य और समस्याओं को ही शामिल किया जाता है। उधर, केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने टीकमगढ़ विधानसभा क्षेत्र में महेंद्र सागर तालाब के फीडर चैनल के सुधार, मरम्मत स्ट्रक्कर लाइनिंग कार्य कराने की अनुशंसा की है। केंद्रीय मंत्री ने ये पत्र 9 जनवरी को लिखा है। लेकिन अभी मामला पेंडिंग है। पूर्व मंत्री जयंत मलैया ने रिटायर उपयंत्री बोएस गांधी के समस्त देयकों का निर्वाह भत्ता, ग्रेज्यूटी, अवकाश नगदीकरण, भविष्यनिधि, पेंशन आदि का भुगतान करने की अनुशंसा की है। इसे बी केटेगिरी दी गई है। मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री स्वतंत्र प्रभार नारायण सिंह पंवार ने अमृत-2 योजना में ब्यावरा नगर की पेयजल व्यवस्था के लिए मोहनेपुरा डेम से 6.5 एमएसीएम जल प्रतिवर्ष आवंटित करने की डिमांड की थी। इस सिफारिश को ए श्रेणी देते हुए ब्यावरा नगर को पानी उपलब्ध कराया जाने लगा है। विधायक पन्नालाल शाक्य ने गुना नगुना जिले के ग्राम ढूंढरू एवं ग्राम विनायकखेड़ो में नवीन तालाबों के निर्माण कराने की डिमांड पर सर्वे कराया जा रहा है। विधायक उमाकांत शर्मा ने टेम मध्यम सिंचाई परियोजना से पठारी क्षेत्र के ग्रामों में प्रेशराइज पाइपलाइन से पानी प्रदाय करने की मांग की है।
तबादले को ए श्रेणी में
सीएस मानिट की सिफारिश देखकर आश्चर्य होता है कि अफसरों ने तबादले का ए श्रेणी में रखा है। विधायक गिरीश गौतम ने भागवत प्रसाद मिश्रा कार्यपालन यंत्री को नईगढ़ी सूक्ष्म दवाब सिंचाई परियोजना से प्रभारी कार्यपालन यंत्री सिंगरौली और क्योटी नहर संभाग रीवा में पदस्थ कार्यपालन यंत्री को रीवा पदस्थ करने की मांग की है। इस डिमांड को ए-प्लस श्रेणी में रखा है। सांसद गणेश सिंह ने बाणसागर यूनिट-2 की पूर्वी नहरों के निर्माण के लिए बजट उपलब्ध कराने की डिमांड की है। इस सिफारिश को ए केटेगिरी दी गई है। विधायक रीति पाठक ने अति महत्वपूर्ण विकास कार्यों को स्वीकृति देने की मांग की है। इस डिमांड को बी श्रेणी दी गई है। यूपी सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने यूपी सरकार से बिना अनुमति प्राप्त किए और यूपी सरकार की आधिपत्य की भूमि पर एप्रोच चैनल का निर्माण करने वाले मप्र के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। मंत्री स्वतंत्र प्रभार, दिलीप जायसवाल ने विधानसभा क्षेत्र कोतमा में राजा कछार जलाशय का निर्माण तथा सीतामणी घाट पर जलाशय निर्माण की सिफारिश की है। विभाग ने जानकारी बुलाई है। पूर्ववित उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह ने मैहर और उमरिया के बीच बहने वाली सोन नदी और छोटी महानदी पर पुल निर्माण कराने की मांग की है। इस डिमांड को बी श्रेणी दी गई है। सांसद गणेश सिंह ने सतना जिले में विभिन्न मार्गों का निर्माण और समस्याओं से संबंधित सीएम को पत्र लिखा है। ये बी केटेगिरी में है। विधायक अमय मिश्रा ने सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों की सूची सीएम को उपलब्ध कराते हुए अनुपूरक बजट में प्रावधान करने की मांग की गई है। मंत्री रामनिवास रावत विजयपुर में अति क्षेत्र सूक्ष्म सिंचाई योजना अंतर्गत ग्राम गोहटा के पास इंदर नदी पर लौड़ी तालाब निर्माण को स्वीकृति दी जाए।