राजनांदगांव (छत्तीसगढ उजाला)। राज्य शासन की ओर से निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाए जाने से नाराज राजनांदगांव के करीब 20 डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से इस्तीफा दे दिया है। आदेश में संशोधन नहीं होने पर सामूहिक रूप से विरोध जताते हुए मंगलवार को एक साथ 20 डॉक्टरों ने इस्तीफा देने की पेशकश करते हुए सामूहिक हस्ताक्षर युक्त पत्र मेडिकल काॅलेज के डीन को सौंपा है। डाॅक्टरों के सामूहिक त्यागपत्र से मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था बिगड़ गई है।
मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में सीनियर और जूनियर डॉक्टरों के स्वीकृत पदों के विरुद्ध 30% ही डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। डॉक्टरों की कमी से जो स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए वह पहले से ही पूरी नहीं हो पा रही है। इस बीच राज्य शासन द्वारा डॉक्टर के निजी प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाए जाने संबंधी आदेश जारी होने से यहां पदस्थ डॉक्टरों में आक्रोश है।
डॉक्टराँ का कहना है कि चिकित्सा शिक्षा संचनालय के अधीन चिकित्सा पृथक श्रेणी में आते हैं इसलिए उनके संबंधित आदेश मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा नहीं होना चाहिए। चिकित्सा शिक्षा के लिए निजी प्रैक्टिस संबंधी नियम पूर्ण और प्रासंगिक है। इसे तत्काल संशोधित किया जाना चाहिए। वर्तमान में डॉक्टरों को सिर्फ अपने घर में क्लीनिक चलाने की अनुमति दी गई है, जो पूरी तरह अव्यवहारिक है। डॉक्टरों ने इस आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
इस्तीफे से चिकित्सा व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ा : डॉ. जेठानी
मेडिकल काॅलेज के असिस्टेंट मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डाॅ. पवन जेठानी ने बताया कि त्यागपत्र देने वाले डाॅक्टरों के साथ बैठक कर हल निकालने का प्रयास किया जा रहा है। मेडिकल काॅलेज में चिकित्सा व्यवस्था पर फिलहाल कोई फर्क नहीं पड़ा है।
मामले का जल्द समाधान निकाला जाएगा : रमन सिंह
इधर राजनादगांव प्रवास पर पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. रमन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ बैठक कर मामले का हल निकाला जाएगा। 20 डॉक्टरों के इस्तीफा देने के मामले में डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले में मैंने स्वास्थ्य मंत्री से बात की है और आगे इसका जल्द हल निकाला जाएगा, लेकिन एक साथ इतने डॉक्टर का इस्तीफा देना कहीं ना कहीं चिंता का विषय है।