●छत्तीसगढ़ उजाला:सियासत●
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट से अपने मौजूदा सांसद व पार्टी अध्यक्ष दीपक बैज की टिकट काटकर क्या साबित करना चाहती है। कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज की जगह विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री कवासी लखमा को चुनावी मैदान में उतारा गया है। कांग्रेस हाईकमान ने अपने प्रदेश अध्यक्ष पर भरोसा नही करके अपनी लचर कार्यप्रणाली को भी बता ही दिया।आदिवासी समाज के इस युवा सांसद ने अपनी इमेज बहुत अच्छी बनाई हुई है। बस्तर लोकसभा सीट पर पहले फेज में वोटिंग होनी है। यहां 19 अप्रैल को मतदान होना है। 20 मार्च को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था।
राज्य के बस्तर क्षेत्र में पार्टी के प्रभावशाली आदिवासी नेता लखमा छह बार से विधायक हैं। वह सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा सीट पर 1998 से लगातार जीत रहे हैं। उन्होंने राज्य में पिछली भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उद्योग और आबकारी मंत्री के रूप में कार्य किया था।इस मंत्री के ऊपर आबकारी घोटाले सहित कई बड़े आरोप भी लगे थे।ऐसे व्यक्ति को टिकट देना भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को समझ मे नही आया।पार्टी अध्यक्ष के समर्थक भी कही न कही हाईकमान के इस फैसले से नाराज बताये जा रहे है।क्या कवासी लखमा को बैज के लोग स्वीकार पाएंगे।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज बस्तर से सांसद हैं। 2019 में मोदी लहर के बाद भी उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार पार्टी ने दीपक बैज को टिकट देने से मना कर दिया है। दीपक बैज के टिकट कटने का कारण माना जा रहा है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी हार को बताया जा रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें चित्रकोट विधानसभा चुनाव से उतार था लेकिन वह हार गए थे।पर पार्टी के कुछ लोगो का कहना है कि भूपेश बघेल ने अपना वीटो पावर लगाकर दीपक बैज की टिकट कटवाई है।दोनो नेताओ की आज कल नही बनती है।इसी कारण से भूपेश बघेल ने अपने खास समर्थक कवासी लखमा को टिकट दिलवाई है।
पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राज्य के दो पूर्व मंत्रियों और एक मौजूदा सांसद को चुनाव मैदान में उतारा है।हार पर टिकट काटने की बात किसी को भी हजम नही हो रहा है।विधानसभा चुनाव हारे कई नेताओं को कांग्रेस ने लोकसभा के मैदान में उतारा है।क्या दीपक बैज का पार्टी में स्थान आदिवासी नेता अरविंद नेताम जैसा होगा।आज की स्थिति में अगर देखा जाए तो आदिवासी समाज के साथ कांग्रेस का व्यवहार सही नही है।एक सशक्त युवा सांसद को टिकट नही देना तो यही इशारा करता है।
इंदिरा गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री रह चुके, पांच बार के सांसद 80 साल के अरविंद नेताम ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया था उस समय उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे हाशिये पर रखा. जब मर्ज़ी तब बुलाया, जब मर्ज़ी तब दुत्कार दिया. कांग्रेस पार्टी के शासनकाल में भी आदिवासी हितों की उपेक्षा लगातार जारी रही. पेसा कानून को तहस-नहस कर दिया गया. यही कारण है कि मैंने पार्टी की जगह समाज के लिए काम करना शुरू किया।उन्होंने कहा, “हमारी पुरखों ने अपने जल, जंगल, जमीन को बचाने के लिए बेईमान सरकारों से लड़ाई लड़ी थी. बिरसा मुंडा से लेकर सिद्धू कान्हू और गुंडाधूर तक हमारे संघर्ष का इतिहास रहा है. यह लड़ाई अब भी जारी है.”
आज की स्थिति में यह बात अब साफ हो गयी है कि आगामी समय मे प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से भी दीपक बैज को हटाया जा सकता है।कुल मिलाकर एक दमदार युवा आदिवासी नेता की राजनीति कांग्रेस के बड़े नेता समाप्त करने की जुगत में है।क्या दीपक बैज को भी अरविंद नेताम जैसा नेता बनाने की साजिश तो नही….?