मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया परिवार का रुतबा…..आज भी बरकरार….

मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया परिवार का रुतबा आज भी बरकरार
मध्यप्रदेश की राजनीति में जब भी वर्चस्व और प्रभावशाली परिवारों की चर्चा होती है, तो सिंधिया परिवार का नाम सबसे पहले आता है। ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाला यह परिवार स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता पश्चात दोनों ही कालों में राजनीति के केंद्र में रहा है।मान और सम्मान के साथ सिंधिया परिवार का अपना जलवा हैं.युवाओ में लोकप्रिय नेताओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे आता हैं.अपने लोगों के लिए श्रीमंत महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया हमेशा आगे आकर लड़ते रहे हैं.उनसे जुड़ने वाले उनका आत्मिक रूप से सम्मान करते हैं.
सिंधिया परिवार की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के समय से मानी जाती है। स्वतंत्रता के बाद यह परिवार कांग्रेस की राजनीति में गहराई से जुड़ा रहा। माधवराव सिंधिया, जो कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे, ने अपने काम और सादगी से पूरे देश में एक अलग पहचान बनाई।आज उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद भी उन्होंने अपनी लोकप्रियता और प्रभाव को बरकरार रखा है। भाजपा सरकार में वे एक सशक्त मंत्री हैं और मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों—खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग—में उनकी पकड़ आज भी मजबूत है।
राजनीति के विश्लेषक मानते हैं कि सिंधिया परिवार का असर सिर्फ चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी उनका सम्मान और प्रभाव महसूस किया जाता है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी केंद्रों तक, सिंधिया नाम अब भी “राजनीतिक भरोसे” का प्रतीक माना जाता है।मध्यप्रदेश में कई बार सत्ता बदलने के बावजूद सिंधिया परिवार की भूमिका कभी कमजोर नहीं हुई। यही कारण है कि आज भी जब प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा की चर्चा होती है, तो सिंधिया परिवार का नाम अनिवार्य रूप से जुड़ जाता है।समय बदला, दल बदले, लेकिन सिंधिया परिवार का रुतबा और प्रभाव आज भी मध्यप्रदेश की राजनीति में उतना ही प्रभावशाली है जितना पहले था।