डीएमएफ घोटाला : कृषि कारोबारियों के ठिकानों से ईडी को मिले सबूत…..आईएएस रानू साहू के नाम की चर्चा फिर एक बार…..*

छत्तीसगढ़ में डीएमएफ (जिला खनिज निधि) फंड में हुए 575 करोड़ के घोटाले की कहानियां एक-एक कर सामने आ रही है। बुधवार को पांच कृषि कारोवारियों, सीए समेत 18 ठिकानों पर सर्च आपरेशन में डीएमएफ घोटाले से जुड़े कई अहम दस्तावेज प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) के हाथ लगे हैं। इन दस्तावेजों के आधार पर जल्द ही कई अधिकारियों, रसूखदारों और बिचौलियों को गिरफ्तारी संभव है।ईडी की जांच टीमों ने रायपुर में कृषि कारोबारी विनय गर्ग, सतपाल छाबड़ा, पवन पोदार, राजिम में उगमराज कोठारी, भिलाई में शिवकुमार मोदी और सीए आदित्य दोनोदिया अग्रवाल सहित कई ठिकानों पर छापा मारा। जांच में यह सामने आया कि डीएमएफ फंड की बड़ी राशि को छत्तीसगढ़ बीज निगम के माध्यम से कृषि उपकरणों की खरीदी के नाम पर इधर-उधर किया गया।
मनोज द्विवेदी घोटाले का मास्टरमाइंड ईडी के अनुसार इस घोटाले का मास्टरमाइंड मनोज कुमार द्विवेदी है, जो वर्तमान में डीएमएफ घोटाले में रायपुर जेल में बंद है। उसने अपने एनजीओ उदगम सेवा समिति के नाम पर डीएमएफ से अधिकांश ठेके हासिल किए और अधिकारियों व नेताओं को भारी कमीशन बांटा। मनोज ने कुल 17.79 करोड़ की रकम में से 6.57 करोड़ रुपये खुद रखे और बाकी घूस के तौर पर बांट दिए।एनजीओ की बड़ी संलिप्तता सामने आई हैं.
इस खेल में मोटा कमीशन अफसरों तक पहुचा.टेंडर प्रक्रिया में भी भारी अनियमितताएं पाई गई। संजय शिंदे, अशोक अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, ऋषभ सोनी, रवि शर्मा, पीयूष सोनी, पीयूष साहू और अन्य बिचौलियों ने मिलकर टेंडर की राशि में से 40 प्रतिशत तक कमीशन अफसरों और नेताओं तक पहुंचाया। निलंबित आइएएस रानू साहू के कार्यकाल में यह खेल हुआ।अब इस घोटाले की जांच से बड़े चेहरे बेनक़ाब होंगे.
बहुत जल्द इस घोटाले में हो सकती है गिरफ्तारी…
प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई के बाद कृषि विभाग के चार अधिकारी, कई ठेकेदार और विचौलिए अब जांच के दायरे में आ चुके हैं। इससे पहले कई अफसरों से पूछताछ भी हो चुकी है। कहा जा रहा है कि बहुत जल्द इस घोटाले में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं. इसके बाद गिरफ्तारी शुरू होगी।वैसे कई अधिकारी ईडी के रेडार में हैं.
फर्जी बाड़ा का खेला बड़े ही सुनियोजित तरीके से किया गया था.घोटाला की जांच में पता चला कि कृषि बीज विकास बोर्ड की सिफारिश पर डीएमएफ फंड से कृषि उपकरण खरीदे गए, लेकिन यह खरीद फर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर की गई। ट्रेनिंग, मेडिकल उपकरण और अन्य गतिविधियों को भी जानबूझकर डीएमएफ फंड से जोड़ा गया ताकि घोटाला किया जा सके। एजेंसी की जांच में यह साफ हुआ कि कोयला व डीएमएफ घोटाले में निलंबित आइएएस रानू साहू के डायरेक्टर एग्रीकल्चर के संचालक कार्यकाल के दौरान कृषि उपकरणो की खरीदी, आपूर्ति के टेंडर नियमों में हेरफेर किए गए। फर्जी प्रोजेक्ट बनाने के साथ ही मटेरियल की आपूर्ति, ट्रेनिंग, मेडिकल उपकरण खरीदी भी डीएमएफ से किया गया था.