लगातार दूसरे दिन छह रूटों पर नहीं चली लो-फ्लोर बसें
भोपाल। भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) के 450 चालक और परिचालक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं। इस कारण बीसीसीएल से अनुबंधित मां एसोसिएट द्वारा शहर के जिन छह रूटों पर लो-फ्लोर बसें चलाई जाती हैं, उन पर शनिवार को भी बसें नहीं चलाई गईं। इसके चलते हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बागसेवनिया डिपो में चालक व परिचालकों ने विरोध प्रदर्शन किया और बीसीएलएल और बस आपरेटर के खिलाफ नारेबाजी की।
चालक और परिचालकों का कहना है कि हम सुबह से लेकर रात तक मेहनत करके पसीना बहाते हैं। बीसीएलएल और बस आपरेटर के बीच के आपसी मतभेद का खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। बस आपरेटर मां एसोसिएट ने कर्मचारियों के पीएफ और ईएसआईसी का पैसा पिछले दो-तीन साल से जमा नहीं किया है। यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी, जब तक चालक और परिचालकों के पीएफ और ईएसआइसी का पैसा खाते में जमा नहीं होता। उधर इस संबंध में बीसीएलएल के पीआरओ संजय सोनी का कहना है कि कर्मचारी और बस आपरेटर से बात करके हड़ताल को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
बीसीएलएल और बस आपरेटर के बीच मतभेद
गौरतलब है कि बीसीएलएल और बस आपरेटर के बीच लंबे समय से आपसी मतभेद चल रहे हैं। कर्मचारी नेता अजीज खान ने बताया कि जब मां एसोसिएट से पूछा गया कि राशि क्यों जमा नहीं हो रही है, तो बताया गया कि बीसीएलएल से बस आपरेटर को 8 करोड़ 80 लाख रुपए लेना है। बीसीसीएल राशि का पेमेंट नहीं कर रहा है। इस कारण चालक और परिचालकों के पीएफ और ईएसआईसी की राशि जमा नहीं हो पा रही है। सभी कर्मचारियों ने मिलकर निर्णय लिया है कि कहीं जाकर ज्ञापन नहीं देंगे। कर्मचारी डिपो पर हड़ताल रहेगी, यहीं पर प्रदर्शन करेंगे।
पहले भी कर चुके हड़ताल
चालक प्रमोद बुनकर ने बताया कि कर्मचारियों ने चार-छह महीने पहले भी पीएफ और ईएसआईसी की राशि जमा नहीं होने पर हड़ताल की थी, लेकिन बीसीएलएल ने इस मामले शांत करवा दिया था। इस बार भी बीसीएलएल के अफसर 10 दिन की मोहलत मांग रहे हैं। उनका कहना है कि बस आपरेटर से बात करके दो-दो महीने में चालक और परिचालकों की राशि खाते में जमा करवा दी जाएगी, लेकिन कर्मचारियों ने मिलकर निर्णय लिया है कि जब तक राशि जमा नहीं होती, हड़ताल जारी रहेगी।
इन रूटों के हजारों यात्रियों को होना पड़ा परेशान
गांधी नगर से अयोध्या बायपास, ईदगाह हिल्स से लेकर भोपाल एम्स, पुतलीघर से बंगरसिया, कोकता से लालघाटी, कोच फैक्ट्री से बैरागढ़ चीचली, आकृति इको सिटी से चिरायु अस्पताल तक चलने वाली लो-फ्लोर बसों के हजारों यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यात्री अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए आटो और अन्य चालकों से लिफ्ट लेकर पहुंचे।