मध्यप्रदेशराज्य

 निगम-मंडलों में कुर्सी के लिए नेताओं ने बढ़ाई सक्रियता

सत्ता में भागीदारी के लिए भोपाल से लेकर दिल्ली दरबार तक फेरे लगा रहे नेता

भोपाल। इन दिनों प्रदेश भर के भाजपा नेताओं के  भोपाल से लेकर दिल्ली तक के फेरे बढ़ गए हैं। यह नेता अपने साथ अपनी उपलब्धियों के ब्यौरे के साथ ही पूर्व में मिले आश्वासनों का पुलिंदा लेकर भी चल रहे हैं। उन्हें सत्ता में भागीदारी के लिए जो नेता मददगार साबित होने वाला लगता है, उसे अपनी बायोडाटा वाली फाइल थमा दी जाती है। यह वे नेता हैं, जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दावेदारी के बाद भी टिकट नहीं दिया गया था। यही वजह है कि अब यह नेता चाहते हैं कि उन्हें निगम मंडल में भागीदारी मिल जाए।  निगम मंडलों के दावेदार भोपाल में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा एवं संगठन महामंत्री हितानंद से मेल-मुलाकात करने में लगे हैं।
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में संगठन नेताओं ने इस बात के संकेत दिए थे कि जिन नेताओं ने चुनाव में अच्छा काम किया है और पार्टी के हर फैसले के साथ रहे हैं। पार्टी उनका पूरा ख्याल रखेगी। इसके बाद से ही निगम मंडलों में पदों पर नियुक्ति को लेकर हलचल शुरु हो गई थी। इनमें अधिकांश वे नेता शामिल हैं, जो विधानसभा चुनाव के समय किन्हीं कारणों से टिकट से वंचित कर दिए गए थे पर उन्होंने बगावती तेवर न अपनाते हुए पार्टी द्वारा तय प्रत्याशी के पक्ष में पूरे मन से काम किया। ऐसे वरिष्ठ नेता अब निगम-मंडलों एवं प्राधिकरणों में अपनी तैनाती चाहते हैं।

हो चुकी है दिल्ली में चर्चा


 मुख्यमंत्री मोहन यादव दिल्ली में भाजपा शीर्ष नेतृत्व से इसको लेकर दो दौर की चर्चा कर चुके हैं। दिल्ली से इस मामले में हरी झंडी मिल चुकी है। बताया जा रहा है जल्द ही निगम-मंडल और बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी। आपको बता दें कि मोहन कैबिनेट के गठन के बाद सभी निगम मंडलों को भंग कर दिया गया था।

इन निगम मंडल और प्राधिकरणों में होनी हैं नियुक्तियां

प्रदेश में जिन निगम मंडल और विकास प्राधिकरणों में नियुक्ति होना है। उनमें प्रदेश के भोपाल, इंदौर, उज्जैन, देवास, जबलपुर, सिंगरौली, कटनी, अमरकंटक और रतलाम में विकास प्राधिकरण है। मोहन सरकार ने अब तक रामकृष्ण कुसमारिया को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया है। इसके अलावा मध्यप्रदेश में तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण, भंडार गृह निगम, जन अभियान परिषद, महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, गौपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड, सामान्य वर्ग कल्याण आयोग, पाठ्य पुस्तक निगम, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, ऊर्जा विकास निगम, संत रविदास हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम, पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम, बीज एवं फार्म विकास निगम, हाउसिंग बोर्ड, पर्यटन विकास निगम, इंदौर विकास प्राधिकरण, महिला एवं वित्त विकास निगम, पाठ्य पुस्तक निगम, बीज एवं फार्म विकास निगम, पर्यटन विकास निगम, खनिज विकास निगम, नागरिक आपूर्ति निगम, राज्य कर्मचारी कल्याण समिति, जन अभियान परिषद, क्रिस्प, भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण, श्रम कल्याण मंडल, माटी कला बोर्ड, वन विकास निगम, इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम, भोपाल विकास प्राधिकरण, योग आयोग, भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल, शहरी एवं ग्रामीण असंगठित कर्मकार मंडल, राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग, रतलाम विकास प्राधिकरण, युवा आयोग, उज्जैन विकास प्राधिकरण, कटनी विकास प्राधिकरण, देवास विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण में नियुक्तियां होनी हैं।  

यह नेता सर्वाधिक सक्रिय

शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव के कुछ माह पहले ही सभी को साधने के लिए नेताओं की निगम मंडलों में ताबड़तोड़ नियुक्तियां की थीं। इन नेताओं को काम करने का कुछ माह के लिए ही समय मिल पाया था। ऐसे नेता इन दिनों अधिक सक्रिय बने हुए हैं। महीने पहले ही जिन नेताओं को निगम-मंडल, प्राधिकरणों में पद दिए थे, वे इस बार भी सक्रिय हो गए है। इन नेताओं का तर्क है कि उन्हें सालों तक समर्पित भाव से काम करने पर सरकार ने पद तो दिया पर वे इन पर साल भर भी नहीं रह पाए। वही दूसरी ओर पूर्व संभागीय संगठन मंत्री इस बार भी अपनी नियुक्ति चाहते हैं, इसके पीछे उनका भी यही तर्क है कि पिछली बार उन्हें कम समय मिला था। इसलिए उन्हें फिर से नियुक्त किया जाए। इनमें मप्र गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष रहे आशुतोष तिवारी, मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष रहे शैलेन्द्र बरूआ, मप्र खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष रहे जितेन्द्र लिटौरिया के अलावा विधानसभा चुनाव हारने वाली मप्र लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष रही इमरती देवी, मप्र अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम की अध्यक्ष रही निर्मला बारेला जैसे नाम शामिल है

दलबदल वाले नेता भी दौड़ में

लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस से भाजपा में आए कई नेता भी दौड़ में शामिल हैं। इनमें से कुछ पूर्व विधायक एवं सांसद भी है। जिन्हें भाजपा में शामिल तो कर लिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में कोई जवाबदारी नहीं दी गई थी। वह भी अब अपनी किस्मत बदलने का इंतजार कर रहे है। कई ऐसे कांग्रेसी नेता है जो अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं और लोकसभा चुनाव में भाजपा को उन्होंने लाभ भी दिलाया है। इनमें छिंदवाड़ा के दीपक सक्सेना भी शामिल है वह भी किसी प्राधिकरण में बड़े पद पर आसीन होना चाहेंगे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे सुरेश पचौरी भी नई पारी शुरू करने के इंतजार में है। इसी तरह पाटन से पूर्व विधायक रहे नीलेश अवस्थी भी प्रयास में लगे हैं।

News Desk

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