छत्तीसगढ

*●सियासत●* *नया नौ दिन, पुराना सौ दिन*…….. *दक्षिण की जंग में रहा सबसे अलग रंग…*

●सियासत●

(अनिल मिश्रा)

रायपुर (छत्तीसगढ़ उजाला)। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर प्रतिष्ठा की जबर्दस्त जंग हुई, उनमें रायपुर दक्षिण सीट खास तौर पर चर्चित रही। जब कभी रायपुर शहर में एक ही विधानसभा सीट थी और छत्तीसगढ़ राज्य का गठन नहीं हुआ था, तब से विधायक चुने जा रहे बृजमोहन अग्रवाल मध्यप्रदेश के जमाने में मंत्री रहे।पटवा सरकार में युवा मंत्री भी बने थे। छत्तीसगढ़ में भाजपा की तीनों सरकार में सबसे ज्यादा अहमियत रखने वाले मंत्री के तौर पर पहचाने जाते रहे। पिछले चुनाव में जब भाजपा रायपुर की चार सीटों में से तीन सीटों पर हारी, तब भी बृजमोहन का इकबाल बुलंद रहा। लगातार सात बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल का किला भेदने हर बार कांग्रेस अपना योद्धा बदलती रही है। लेकिन कोई उनसे पार नहीं पा सका।

इस बार ऐसा लगा कि बृजमोहन के खिलाफ कांग्रेस ने दोहरी घेराबंदी कर रखी थी। मैदान में महंत रामसुंदर दास और मैदानी प्रबंधन के लिए महापौर एजाज ढेबर।शायद एजाज ढेबर की जमीन तैयार करने की भी गणित थी, गजब चक्रव्यूह रचा गया लेकिन माहौल बता रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल का चुनावी रणकौशल एक बार फिर कांग्रेस की निराशा का कारण बन सकता है।

 

बृजमोहन के खिलाफ महंत और महापौर ने मिलकर चुनाव लड़ा है। महंत कांग्रेस का चेहरा रहे और चुनावी प्रबंधन महापौर का चर्चित रहा। कांग्रेस ने यह अद्भुत समन्वय कैसे व किस लिए स्थापित किया, यह अलग बात है। पिछली बार के पराजित योद्धा कन्हैया अग्रवाल को बहुत उम्मीद थी कि टिकट उनको ही मिलेगी। महापौर ढेबर को भी ऐसी ही उम्मीद थी। उन्होंने तो गुलाबी गलीचा भी कदमों में बिछाया था।महंत के नाम टिकट एलॉट होने पर भाई लोगों के समर्थकों की भावनाएं भी सामने आई थीं। इसके बावजूद महापौर और महंत के बीच जो एकात्म स्थापित हुआ, वह कांग्रेस के कितने काम आएगा? महापौर की चुनावी सक्रियता का कांग्रेस को कितना नुकसान हो सकता है? यह सवाल इसलिए भी है कि नगर निगम की कांग्रेसी सत्ता से जनता कितनी खुश है और कितनी नाराज है? चुनाव के दौरान महापौर के वार्ड में जो कुछ हुआ, उसने भी इस चुनाव में काफी सुर्खियां बटोरीं। कांग्रेस ने कहा कि बृजमोहन हार रहे हैं इसलिए नौटंकी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी उनके खिलाफ प्रतिक्रिया दी तो बृजमोहन ने उन्हें चुनौती दे दी थी कि कोई भी सीट तय कर लें, उन्हें हराकर दिखा देंगे। चुनावी राजनीति में ऐसी चुनौती चलती रहती हैं। अब मतदान हो चुका है और बृजमोहन अग्रवाल का दावा है कि दमनकारी कांग्रेस सरकार की रवानगी जनता ने कर दी है। 3 दिसंबर के बाद से छत्तीसगढ़ में भाजपा के सुशासन की वापसी होगी और छत्तीसगढ़ को लूटने वालों को जेल भेजा जाएगा, उनके अवैध कामों पर बुलडोजर चलाया जाएगा। वे कह रहे हैं कि अपने भ्रष्टाचार के पैसों के दम पर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की सभी विधानसभा सीटों को प्रभावित करने का भरपूर प्रयास किया। गुंडागर्दी की।सरकारी मशीनरी का भी दुरुपयोग भूपेश बघेल ने किया है।हमारे कार्यकर्ताओ को धमकाया गया पर हमारे कार्यकर्ता डरने वालो में नही है।आने वाली तीन दिसम्बर को कमल खिलेगा।

परंतु छत्तीसगढ़ की भोली भाली व ईमानदार जनता ने कांग्रेस के जाल व भय में न फंसते हुए भाजपा को अपना आशीर्वाद दे दिया है। उनका कहना है कि रायपुर की जनता से मेरा संबंध अटूट है कोई राजनीतिक ताकत इसे नहीं तोड़ सकती।पूरी विधानसभा की जनता मेरा परिवार है। कांग्रेस अपने बाहुबल और गुंडों की फौज के बदौलत व्यक्तिगत संबंधों से बनी उनकी खड़ी फसल चुराने की कोशिश करती रही। परंतु भाजपा के जांबाज निष्ठावान सिपाहियों के आगे उनकी एक न चली।बृजमोहन अग्रवाल भाजपा के कुुुशल राजनीतिज्ञ माने जाते है।बृजमोहन के दावे में कितना दम है, यह तो 3 दिसंबर को ही सामने आएगा, अभी उनके विश्वास की बात करें तो लगता है कि नए नवेले प्रबंधन पर पुराना अनुभव भारी पड़ सकता है।

Anil Mishra

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