हाउसिंग बोर्ड में नियम विरुद्ध तीन अपर आयुक्तों की नियुक्ति का मामला गरमाया…. मुख्यमंत्री सांय से विधायक ने की शिकायत….* *विभागीय मंत्री ओपी चौधरी इस मनमानी पर कब करेंगे कार्रवाही…..?*
छत्तीसगढ़ उजाला- रायपुर
सत्ता किसी की भी हो खेल कुछ अफसर ही करते है. छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में नियम के विरुद्ध काम करने की शायद परिपाटी बंद नही होगी।पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के समय अपने खासमखास अफसरों को नियमो के विरुद्ध प्रमोशन देने का मामला सामने आया है।नियमो के विपरीत तीन अपर आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी।पर अब तक इस मामले में सुशासन वाली सांय सरकार में अब तक कोई भी कार्रवाही नही की है।
इस पद की नियुक्ति को लेकर भाजपा के विधायक ने मुख्यमंत्री तक इस मामले की जानकारी शिकायत के रूप में की है।पर अब तक विभाग के मंत्री ओपी चौधरी ने भी कोई कार्रवाही नही की है।अपर आयुक्तों (सांख्येत्तर) पद को निरस्त करने की शिकायत पिछली सरकार में भी की गई थी पर उनसे इस मामले में जांच की भी कोई उम्मीद नही थी।इस मामले को लेकर भाजपा विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा ने मुख्यमंत्री के नाम से एक शिकायत भी की है.जिसमे उन्होंने लिखा है कि…….
मुख्यमंत्री महोदय,
भूपेश बघेल सरकार में पाटन क्षेत्र के एक कुर्मी अधिकारी श्री हेमंत कुमार वर्मा को किसी भी हालत में प्रमोशन देने के लिए आनन-फानन में तीन अपर आयुक्त (सांख्येत्तर) पद स्वीकृत किया गया। प्रमोशन पाने वाले अधिकारी इस प्रकार है:-
राजेन्द्र कुमार राठौर वर्ष 1996 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्री चरण दास महंत जी. के. पत्र के आधार पर पीछले रास्ते से सहायक अभियंता के पद पर भर्ती हुई थी। इस भर्ती के विरोध में कर्मचारी संघों के द्वारा लोक आयोग सहित हर स्तर पर शिकायत दर्ज की गई, किन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। वर्तमान में भी इस संबंध में शिकायत भूपेश सरकार में लंबित है।
सुनील कुमार भगत- अम्बिकापुर निवासी सुनील कुमार भगत, कांग्रेस पूर्व मंत्री श्री अमरजीत भगत के रिस्तेदार बताए जाते हैं।
हेमंत कुमार वर्मा पाटन क्षेत्र से कुर्मी समाज से पूर्व सांसद श्रीमती छाया वर्मा के सगे जीजा जी है और श्री भूपेश बघेल जी से घनिष्ठ रिस्तेदारी बताए जाते हैं। तेलीबांधा थाना, राज्य लोक आयोग और ई.ओ.डब्ल्यू, प्राथमिक प्रकरण दर्ज है।
इनके पदोन्नति में निम्नलिखित विसंगतियों है:-
1. तीन अपर आयुक्त पद स्वीकृति का प्रस्ताव छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के बोर्ड मिटिंग में अनुमोदित नहीं कराया गया।
2. शासन के समन्वय में ही पद स्वीकृति की मात्र सहमति प्रदान की गई, जिसे स्वीकृति मानकर आनन-फानन में डी.पी.सी. कर दिया गया।
3. जिस दिनांक 29.09.2023 को डी.पी.सी. हो रहा था उस दिनांक तक पद स्वीकृति के लिए वित्त विभाग की सहमति प्राप्त नहीं थी।
4. जिस दिनांक 29.09.2023 को डी.पी.सी. हुआ था उस दिनांक तक मंत्री मण्डल से पद स्वीकृति के संबंध में कोई निर्णय अनुमोदित नहीं हुआ था।
5. तीन अपर आयुक्त (सांख्येत्तर) पद की स्वीकृति मंत्री परिषद (आईटम क-58.23) दिनांक 26.09.2023 को कार्योत्तर अनुमोदन किया गया है। इस दिनांक को जारी मंत्री परिषद के निर्णय के कार्यवाही विवरण में इसके संबंध में पब्लिक में कोई डाक्यूमेंट प्रसारित नहीं किया गया है। बल्कि चूपके से इस निर्णय को शामिल करते हुए आदेश जारी कर दिया गया है।
6. अधिकारी के विरूद्ध दर्ज अपराधिक प्रकरण प्रचलन में रहने के बावजूद संनिष्ठा प्रमाणित करते हुए प्रमोशन कर दिया गया।अतः महोदय से अनुरोध है कि उक्त गडबडझाले का जांच कराते हुए पदोन्नति रद्द करने का कृपा करेंगे!
इस शिकायत पत्र के बाद हाउसिंग बोर्ड में चर्चा का विषय भी बना हुआ है.चर्चा यह भी है कि विधायक के अलावा कई लोगो ने भी इस मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी की है.अब इस मामले में प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय व आवास पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी क्या कार्रवाही करते है यह देखना बाकी है.