●रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला●
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग की हवा हवाई बाते अब धरातल में नजर आने लगी है।बारिश आते ही स्कूलों की बदहाल व्यवस्था दिखने लगी।सालाना अरबो रुपये फूंकने के बाद भी स्कूलों की व्यवस्था को दुरुस्त कर पाने में शिक्षा विभाग फेल साबित हो रहा है।छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया को इस विषय पर चिंतन की आवश्यकता है।सरगुजा सहित बस्तर में स्कूलों की हालत जर्जर है।हर वर्ष अरबो रुपये पानी मे ही बहाया जा रहा है।
सूरजपुर जैसे कई जिले की हालत खराब है।इन जिलों की बदहाल व्यवस्था से एक बार फिर स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) की तैयारियों की पोल खुल गई है. जहां एक ओर नए सत्र की शुरुआत हो रही है. वहीं, दूसरी ओर पहली ही बारिश ने पूरी व्यवस्था की हकीकत बयां कर दी है. बारिश से स्कूलों में पानी घुस रहा है. छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले अफसरों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।अरबो रुपयों का बजट हर वर्ष स्कूल शिक्षा विभाग को जारी होता है।आखिर इन बजट का इस्तेमाल कैसे किया जाता है जिसको आसानी से समझा जा सकता है।सरगुजा सहित पूरे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों का हाल बद से बद्दतर ही है।आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है।सरकार को अफसरों को सही संदेश देने के लिए शिक्षा सचिव सहित उच्च अफसरों के ऊपर भी कार्रवाई करनी चाहिए।कब तक गलतियों का खामियाजा छोटे अफसर व कर्मचारी ही उठाएंगे।मंत्रालय में बैठे अफसर अच्छे काम होने पर अवार्ड पाने का अधिकार रखते है तो खराब काम के लिए दोषी भी इनको ही माना जाना चाहिए।गलत व्यवस्था के जिम्मेदार भी यही लोग है।
दरअसल प्राथमिक शाला में पानी घुसने का ये पूरा मामला रामानुजनगर ब्लॉक के ग्राम पंचायत सुमेरपुर का है.जहां शनिवार को जिले में जबरदस्त बारिश हुई, जिसका सीधा असर पड़ा सुमेरपुर ग्राम पंचायत में स्थित प्राथमिक शाला पर जो जलमग्न हो गई. स्कूल में बच्चों के घुटने तक पानी भर गया. जिससे पढ़ाई बंद करनी पड़ी. फिर स्कूल की छुट्टी करने की नौबत आ गई.कई जिलों में स्कूल भवन जर्जर हालत में है।इन सबकी वास्तविकता जानने के लिए अफसरों को अपने वातानुकूलित कक्ष से निकलकर जमीन पर आना होगा।वो तो इन अफसरों के लिए बड़ा कठिन कार्य है।
ग्राम पंचायत में प्राथमिक शाला भवन नहीं होने की वजह से शिक्षा विभाग की ओर से अतिरिक्त कक्ष का निमार्ण करवाया गया था. जहां कक्षा एक से 5वीं तक की पढ़ाई होती है. वहीं, अतिरिक्त कक्ष सड़क किनारे है. जहां पीडब्ल्यूडी विभाग ने पक्की सड़क का निर्माण करा दिया है. ऐसे में रोड की ऊंचाई अधिक होने के कारण बारिश का सारा पानी स्कूल में घुस रहा है. हालांकि शनिवार को किसी तरह से स्कूल प्रबंधन ने गांव वालों की मदद से पानी बाहर निकाला है, लेकिन मानसून में होने वाली बारिश के दौरान यह समस्या आगे भी बनी रहेगी.आखिर इन अव्यवस्थाओ के लिए कौन जिम्मेदार है।स्कूलों की जर्जर हालत की वजह से बच्चे पढ़ नही पा रहे है।इन स्कूलों की बदहाल व्यवस्था पर सूबे के मुखिया को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।छात्रों का भविष्य उज्ज्वल हो इसके लिए ही सरकार स्कूल शिक्षा विभाग में अरबो का बजट देती है।पर वास्तविकता में यह सारा पैसा भी कमीशन खोरी में चला जाता है।स्कूलों की बदहाली पर एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाने की जरूरत है।