छत्तीसगढ

भाजपा प्रत्याशी एल पद्मजा पूजा विधानी और अशोक विधानी के बयान में अंतर…….भाजपा संगठन से ज्यादा ताकतवर हुए मंत्री विधायक…….

●छत्तीसगढ़ उजाला●

कांग्रेस ने एल पद्मजा उर्फ पूजा विधानी के नामांकन को लेकर आपत्ति की है।कांग्रेस का कहना है कि भाजपा जिसको अपना प्रत्याशी बनाती है उसका नाम भाजपा खुद नही जानती है यह अचरज की बात लगती है।भाजपा पूजा विधानी का नाम जारी करती है और भाजपा से मेयर का नामांकन एल पद्मजा जमा करती है।यह बात भी बड़ी गजब लगती है।जिसका पूरा परिवार सामान्य में आता है उस परिवार की एक सदस्य ओबीसी कैसे हो सकती है।

कांग्रेस के आरोप पर भाजपा की मेयर प्रत्याशी पूजा विधानी ने कहा है कि कांग्रेस की आपत्ति निराधार और मेरी जाति उड़िया-तेलुगु है और मेरा जन्म बिलासपुर में ही हुआ है MP के समय का जाति प्रमाण पत्र सहित दस्तावेज मेरे पास मौजूद है कांग्रेस चुनाव जीतने नए हथकंडे अपना रही है। बोलीं- कांग्रेस ने मुझे और अशोक विधानी को हीरो-हीरोइन बना दिया।मेरा प्रमाण पत्र 95 में एसडीएम के यहाँ से बना हुआ है।कांग्रेस को हार का डर सता रहा है।

वही इस मामले में पूजा विधानी के पति पूर्व पार्षद और भाजपा नेता अशोक विधानी का कहना है कि एल.पद्मजा पूजा विधानी का जन्म बिलासपुर में हुआ है और उनकी जाती प्रमाण पत्र भी 2004/05 में बिलासपुर एसडीएम कार्यालय से विधिवत बनाया गया है। बिलासपुर में पैदा हुई हुआ है इसलिए वो यहां की मूल निवासी है। उनके पिता एल. नारायण राव के पास भी पिछड़ी जाति का प्रमाणपत्र है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने अपनी हार मान ली है इसलिए वे इस तरह का प्रोपोगंडा फैला रहे है। हमारे पास पूरे दस्तावेज मौजूद है और पार्टी सारे सर्टिफिकेट जांचने के बाद ही टिकट जारी करती है। कांग्रेस को हार का डर सता रहा है इसलिए ऊलजुलूल बाते कह रहे है

भाजपा नेता अशोक विधानी अपनी पत्नी के जाति प्रमाण पत्र को लेकर जो बयान दिए उसमे और उनकी पत्नी के बयान में काफी फर्क है।एल पद्मजा 95 में प्रमाण पत्र बनने की बात बोल रही है वही उनके पति अशोक विधानी 2005 में बनने की बात बोल रहे है।अब कांग्रेस  ही इस मुद्दे को लेकर सड़क तक जाने की बात कर रही है।कांग्रेस के नेता मामले में एफआईआर दर्ज करने की बात भी बोल रहे है।

कुल मिलाकर भाजपा इस मामले में गलती कर बैठी।भाजपा के संगठन पर भी अब पार्टी के लोग बाते करने लगे है।प्रदेश में न्यायधानी की इतनी महत्वपूर्ण सीट में भाजपा के संगठन ने इतनी बड़ी गलती कैसे कर दी।इससे भाजपा के संगठन की कमजोरी भी उजागर हो गयी।सूत्रों के अनुसार निकाय चुनाव में भाजपा के संगठन से ज्यादा ताकतवर लोकल विधायक व मंत्री की बातें सामने आ रही है।भाजपा को प्रदेश  में कई जगह प्रत्याशी तय करने में ही समय लग गया।कवर्धा की कहानी भी सामने आ रही है जिसमे पार्टी संगठन पहले एक को अपना प्रत्याशी बनाता है बाद में उसे वार्ड बदलने की बात बोल दी जाती है।कहा जाता है कि तुमको दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ना है।अब वो बेचारा क्या करे यह उसको समझ नही आ रहा है।पार्टी एक नाम को पहले तय करती है फिर दूसरे नाम को आगे कर देती है।चिरमिरी का किस्सा भी गजब का है।यहाँ जिसको भाजपा ने मेयर का प्रत्याशी बनाया है वो पिछले पार्षद चुनाव में मात्र 4 वोट ही पाया था।कहते है कि स्वास्थ्य मंत्री का खास व्यक्ति है इसलिए भाजपा ने इनको ही मैदान में उतार दिया है।अलबत्ता प्रदेश में भाजपा ने हर जगह इसी परिपाटी से फैसला किया है।

पूरे प्रदेश में निकाय चुनाव में भाजपा का संगठन कमजोर व असहाय सा नजर आया.क्षेत्र के विधायक और मंत्रियों ने अपने लोगो को प्रत्याशी बनाकर चुनावी समर में उतारा है।भाजपा के संगठन मंत्री शायद लापता हो गए है।एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने छत्तीसगढ़ उजाला को बताया कि सब जगह सेटिंग का खेल हुआ है।कौन कितना इससे ही नाम तय हो गया।हो सकता है इसी हिसाब से ही सारा फैसला किया गया है।संगठन मंत्री पर भी आरोप लगने लगे है।इतनी बड़ी पार्टी में ऐसा खेल हो जाना समझ से परे है।कार्यकर्ताओ की इतनी बार बैठके करने के बाद भी ऐसा बुरा हाल है इसकी कल्पना किसी को भी नही थी।वैसे इनके खास केंडिडेट को भी टिकट दी गयी है।कुलमिलाकर पार्टी के सारे सिस्टम से हटकर टिकट बांटी गई है। संगठन के लोग किस फार्मूले से पार्टी के प्रत्याशी का नाम तय कर रहे है यह अपने आप मे समझ से परे है।कुल मिलाकर शहरी राजनीति में भाजपा का डब्बा गोल होना सुनिश्चित ही है।लगता है कि आगे पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी कुछ बड़े फैसले लेगा।

Anil Mishra

Related Articles

Back to top button