कोरबा

*दो साल बाद भी जुराली गांव के दो किलोमीटर मार्ग का विवाद सुलझ नहीं सका, भारी संख्या में पुलिस तैनात कर छह साल पहले अधिग्रहित की गई भूमि पर मार्किंग किया*

छत्तीसगढ उजाला

 

कोरबा (छत्तीसगढ उजाला)। बिलासपुर- अंबिकापुर राष्ट्रीय राजमार्ग में आवागमन शुरू होने के दो साल बाद भी जुराली गांव के दो किलोमीटर मार्ग का विवाद सुलझ नहीं सका है। प्रशासन ने शेष बचे हुए दो किलोमीटर में सड़क निर्माण का कार्य करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। काफी संख्या में पुलिस बल गांव में तैनात कर छह साल पहले अधिग्रहित की गई भूमि पर मार्किंग किया गया। साथ ही अधिग्रहित भूमि होने की सूचना बोर्ड भी लगा दिया गया है। सुरक्षा के लिहाज से जुराली को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था।

राष्ट्रीय राजमार्ग 130 (किलोमीटर 53.300 से किलोमीटर 92.600) चार-लेनीकरण अंतर्गत कुल 27 ग्राम के प्रभावित भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसमें 26 ग्रामों की अधिग्रहित भूमि पर एनएच द्वारा सड़क निर्माण पूर्ण कर लिया गया है किन्तु ग्राम- जुराली अवार्ड 18 मार्च 2021 अंतर्गत प्रभावित भूमि (निजी भूमि रकबा 85994 वर्ग मीटर एवं शासकीय भूमि रकबा 19350 वर्ग मीटर) लगभग दो किलोमीटर में ग्रामीणों द्वारा विरोध किये जाने के कारण सड़क निर्माण नहीं किया जा सका है। कटघोरा के समीप चकचकवा पहाड़ जुराली से लेकर कापूबहरा तक सड़क के लिए ग्रामीणों की विरोध की वजह से अभी तक राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच को नहीं मिल सकी। अब इस मार्ग को पूरा किया जाना है। इसलिए प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी। रविवार को प्रशासनिक अमला, एनएच के अधिकारी पुलिस बल के साथ ग्राम जुराली पहुंचे। किसी तरह का विरोध न हो, इसलिए पूरे गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। इस बीच ग्रामीणों, प्रशासन व पुलिस के बीच तनाव की स्थिति बनी रही, पर एनएच के अधिकारियों ने अधिग्रहित की गई जमीन में सीमांकन काम पूर्ण किया। मौके पर मार्किंग करने के साथ एनएच द्वारा प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर अधिग्रहित भूमि का बोर्ड भी लगाया गया। आने वाले दिनों में इस शेष निर्माण कार्य को भी पूरा कर लिया जाएगा, ऐसा दावा है। यहां बताना होगा कि प्रशासन द्वारा पारित अवार्ड अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा तीन ई में निहित प्रावधान के तहत तीन कार्यालयीन नोटिस क्रमश: आठ अगस्त, 23 अगस्त तथा 23 सितंबर को संबंधित खातेदारों को दी गई थी कि मुआवजा राशि प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करें। ग्रामीणों द्वारा रूचि नहीं लिए जाने के कारण एनएच को धारा तीन डी की उपधारा (2) के अधीन केंद्रीय सरकार में निहित भूमि का कब्जा सौंपने की कार्रवाई की गई।

मुआवजा नहीं मिलने पर उखाड़ देंगे सड़क

इस घटना को लेकर ग्रामीणों में नाराजगी है। उनका कहना है कि छह साल से पहले जमीन लेने के बाद भी अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है। ग्रामीण, जमीन का उचित मुआवजा गाइडलाइन के अनुसार देने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण शत्रुघ्न लाल पटेल ने बताया कि वार्ड 12 जुराली में अधिग्रहित जमीन का मुआवजा के लिए कोरबा से लेकर रायपुर, बिलासपुर तक की दौड़ लगा चुके हैं लेकिन राहत नहीं मिली है। सही मुआवजा मिलेगा तभी जमीन दी जाएगी। ग्रामीण चंद्रभान सिंह ने बताया कि जबरदस्ती खेत में सड़क बनाना चाह रहे हैं, ग्राम ज़ुराली और कापूबहरा में दोनों जगह की जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। उसका नाम प्रकाशन से छूट गया है। उचित मुआवजा मिलने पर जमीन दे देंगे, फिर चाहे उस पर सड़क बनाएं या खेती करें। हम किसान हैं, मुआवजा नहीं मिलने पर सड़क उखड़ कर रख देंगे।

इस मार्ग के लिए लगभग 112 किसानों की जमीन का अधिग्रहण होना है। किसानों ने उचित मुआवजा देने की मांग को लेकर मामला न्यायालय तक पहुंच चुका है। जुराली के किसान इरशाद काजी का भी कहना है कि उन्हें उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिला है, जबकि एनएच का दावा है कि मुआवजा कोर्ट के फैसले के आधार पर दिया जाएगा। इरशाद काजी ने बताया कि किसानों ने केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात की, तब उन्होंने कहा कि अगर शासन के मुआवजा से किसान संतुष्ट नहीं हैं तो पुनः प्रकरण आर्बीट्रेशन में जा कर निर्धारण करा लें। जो भी राशि होगी, प्रशासन के प्रतिवेदन अनुरूप किसानों को राशि दे दी जाएगी।

एनएच नहीं बनने की वजह से मोहनपुर- सुतर्रा के पास से छोटे- बड़े सभी प्रकार के वाहन कटघोरा शहर के अंदर प्रवेश करते थे और बस स्टैंड होते हुए अंबिकापुर की ओर जाते थे। इससे वाहन चालकों को दिक्कत होती थी, साथ ही शहरवासियों को भी अनावश्यक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता था। एनएच द्वारा ग्राम जुराली में सड़क निर्माण का काम पर्ण पूर्ण होने से आवागमन सुव्यवस्थित हो जाएगा। इसके साथ ही बिलासपुर-अंबिकापुर के मध्य चलने वाले भारी वाहनों को कटघोरा शहर में प्रवेश नहीं करना पड़ेगा। इससे कटघोरा शहर में यातायात का दबाव कम होने के साथ ही दुघर्टनाओं की संभावना भी कम हो जाएगी। इसके अतिरिक्त आमजनता के लिए न केवल 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी कम होगी बल्कि आवागमन में लगने वाले अतिरिक्त समय की बचत भी होगी।

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