बिलासपुर

इंटरनेट पर फर्जी वेबसाइट की भरमार: तिरुपति में रूम बुक कराने के नाम पर शिशु रोग विशेषज्ञ से हजारों रुपए की धोखाधड़ी, मामला दर्ज 

छत्तीसगढ उजाला

 

बिलासपुर (छत्तीसगढ उजाला)। शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डा. किरण वासुदेव देवरस से जालसाजों ने तिरुपति में रूम बुक कराने के नाम 90 हजार 356 रुपये की धोखाधड़ी की है। डाक्टर ने इसकी शिकायत सिविल लाइन थाने में की है। इस पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर मामले को जांच में लिया है।

तिलक नगर में रहने वाले शिशु रोग विशेषज्ञ किरण वासुदेव देवरस ने धोखाधड़ी की शिकायत की है। डाक्टर ने बताया कि उन्होंने एक नवंबर को तिरुपति देवसस्थानम में कमरा बुक कराने के लिए काल किया था। इस दौरान उन्हें मठ में कमरा उपलब्ध नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद डाक्टर ने इंटरनेट पर मठ की वेबसाइट सर्च की। इस दौरान वराह स्वामी मठ की साइट ओपन हुई। उसमें दिए नंबर पर काल करने पर पहली बार कोई रिप्लाई नहीं मिला। थोड़ी ही देर बाद उसी नंबर से डाक्टर के मोबाइल पर काल आया। डाक्टर ने रूम बुक करने के लिए कहा तो ढाई हजार प्रति रूम और दर्शन के लिए 300 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से उनसे 25 हजार 800 रुपये मांगे गए। इसके लिए डाक्टर के मोबाइल पर एक क्यूआर कोड भेजा गया। डाक्टर ने अपने मोबाइल से क्यूआर कोड स्केन कर आनलाइन रुपये भेज दिए। इसके कुछ ही देर बाद उनसे सिक्यूरिटी मनी के नाम पर 15 हजार 200 रुपये और मांगे गए। डाक्टर ने गलती से केवल 15 हजार रुपये ट्रांसफर किए। इस पर जालसाजों ने पूरी रकम एक बार ही भेजने के लिए कहा। पहले भेजे गए रुपयों को वापस कर देने का आश्वासन दिया गया। इस पर डाक्टर ने पूरी रकम आनलाइन ट्रांसफर कर दी। जालसाजों ने उनके 15 हजार रुपये वापस करने के लिए वीडियो काल करने के लिए कहा। साथ ही गूगल पे के ट्रांजेक्शन आइडी में जाकर 17178 नंबर टाइप करने के लिए कहा। इस दौरान जालसाजों ने डाक्टर को अपनी बातों में उलझाकर रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए। दूसरी बार भी उनसे उतनी ही रकम ट्रांसफर कराया। इसके बाद केवल 720 रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहा तो डाक्टर को शंका हुई। उन्होंने अपने गूगल पे को ब्लाक करा लिया। इसके बाद उन्होंने तत्काल ही नेशनल क्राइम पोर्टल पर जाकर शिकायत की। अब डाक्टर ने मामले की शिकायत सिविल लाइन थाने में की है। इस पर पुलिस ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जालसाजों ने बड़ी कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बना रखी है। इसके अलावा सरकारी संस्थान के नाम से भी फर्जी वेबसाइट हैं। मंदिर और धार्मिक ट्रस्ट के मिलते जुलते वेबसाइट भी जालसाजों ने बना लिए हैं। ये इतने मिलते-जुलते हैं कि लोगों को भनक तक नहीं लगती कि फर्जी वेबसाइट में वे पहुंच गए। यहां पर हेल्प डेस्क के नाम पर मोबाइल नंबर दिए होते हैं। इसके कारण लोग आसानी से जालसाजी के शिकार हो जाते हैं।

एसीसीयू के प्रभारी एएसपी अनुज कुमार ने बताए सतर्कता के उपाय

– किसी भी कंपनी या संस्थान की वेबसाइट को सर्च करने से पहले जानकारी जरूर लें। एचटीपीपीएस लगी वेबसाइट पर ही सर्च करें।

– लिंक से भेजे गए किसी भी एप को मोबाइल पर डाउनलोड नहीं करना चाहिए। केवल सेवा प्रदाता के एप को ही मोबाइल पर डाउनलोड किया जाना चाहिए। बैंक या कोई भी संस्थान लिंक भेजकर एप डाउनलोड नहीं कराता।

– कोई भी संस्थान बैंक की जानकारी नहीं मांगता। अगर कोई आपके मोबाइल पर लिंक भेजकर एप डाउनलोड करने कहता है इससे बचें। ऐसे लोग जालसाज हो सकते हैं। लेनदेन करने से पहले लोगों की जानकारी लें और आसपास के लोगों से भी इस संबंध में चर्चा कर जरूरी जानकारी ले लें।

– अगर कोई इनाम का लालच दे रहा है तो इसे नजर अंदाज करें। साथ ही बिना मेहनत के रुपये का लालच देने वाले जालसाजी कर रुपये ऐंठने वाले हो सकते हैं। ऐसे लोगों से किसी भी तरह का लेनदेन न करें। घर बैठे लोन देने वाले भी जालसाजी करते हैं। ऐसे लोगों से रुपये लेने से बचना चाहिए।

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