
*सियासत*
रायपुर छत्तीसगढ़ उजाला। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के यथोचित स्वागत सम्मान के साथ पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के उत्साह पूर्ण आत्मीय स्वागत के अलावा अगर कोई चर्चा सियासी गलियारों में है तो वह है सोनिया गांधी की लाड़ली बिटिया, राहुल गांधी की दुलारी बहिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का गुलाबी इस्तकबाल और इस दौरान इस अनोखे इस्तकबाल का इंतजाम करने वाले रायपुर महापौर एजाज ढेबर के साथ हुई बदसलूकी। ढेबर ने ऐसे स्वागत के लिए प्रियंका को ही क्यों चुना, इसके लिए किसकी रजामंदी रही और प्रियंका का बढ़ चढ़कर स्वागत करने के जरिये क्या संदेश देने की कोशिश की गई, इस पर गुफ्तगू की जा सकती है। यह स्वागत पलक पांवड़े बिछाने से कम नहीं है।
प्रियंका के स्वागत में करीब डेढ़ किलोमीटर सड़क पर गुलाब की पंखुड़ियों का मोटा कालीन बिछाया गया। रायपुर महापौर ढेबर ऐसा अभूतपूर्व सत्कार करने में सक्षम हैं। वे बेहद उत्साही हैं। बड़े नेताओं के स्वागत की व्यवस्था में अव्वल रहते हैं। अधिवेशन की तैयारी के दौर में उन्होंने शहर से लेकर विमानतल तक प्रचार सामग्री पाट दी थी। कई बार हड़बड़ी में गड़बड़ी हो जाती है तो प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम छूट गए। कहने वाले कह सकते हैं कि ऐसा जानबूझकर किया गया। इस पर बवाल मचा था। वैसे हो सकता है कि चूक हो गई हो। छोटी छोटी बातों में राजनीति नहीं देखी जानी चाहिए लेकिन जब मामला ही राजनीतिक आयोजन से जुड़ा था तो राजनीति से बचा कैसे जा सकता है।
खैर, महापौर ने रायपुर रेलवे स्टेशन से विमानतल और अधिवेशन स्थल से लेकर सभास्थल सहित शहर भर में जो प्रचार सामग्री परोस दी, उसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष से कहीं ज्यादा अहमियत पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को दी गई। अब अध्यक्ष से बढ़कर राहुल को मान दे दिया गया तो राहुल से बढ़कर सम्मान उनकी बहिन प्रियंका को दे दिया। करीब 20 टन गुलाब प्रियंका के कदमों में बिछा दिए।तारीख गवाह है कि शायद ही किसी शहजादी का भी ऐसा शाही इस्तकबाल हुआ होगा। यह है आत्मीयता से सराबोर सोच। महापौर ढेबर के स्वागत इंतजाम ने बहिन प्रियंका को अभिभूत कर दिया। यह छत्तीसगढ़ है। यहां बेटी, बहिन को सर्वाधिक सम्मान दिया जाता है। माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की बेटी हैं, इसलिए यहां भगवान राम को भांजा माना जाता है। बात छत्तीसगढ़ की संस्कृति की है तो सोनिया और राहुल के मुकाबले प्रियंका का गुलाबी स्वागत एकदम जायज है। इसमें राजनीति की सुगंध सूंघने की जरूरत नहीं है। लेकिन दिल है कि मानता नहीं। इसके भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। माता सोनिया कह गईं कि उन्हें खुशी है कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ उनकी पारी का समापन हुआ। मतलब सोनिया गांधी की पारी समाप्त हो गई है। अब सवाल उठता है कि उनका स्थान कौन लेगा।
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अधिवेशन ने जाहिर कर दिया है कि कांग्रेस के अध्यक्ष भले ही मल्लिकार्जुन खड़गे हैं किंतु नायक राहुल गांधी ही हैं। कांग्रेस के विरोधी इसे सुपर बॉस संस्कृति करार दे रहे हैं लेकिन इससे कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ता। वह अपने रास्ते पर चल रही है। उसे राहुल प्रियंका का संघर्ष चाहिए, सोनिया का आशीर्वाद चाहिए, मल्लिकार्जुन का मार्गदर्शन चाहिए। वह यही कर रही है। ढेबर ने जो स्वागत किया, वह आने वाले समय का संकेत दे गया।
अब यहां इस बेमिसाल इस्तकबाल के दौरान जो हुआ, उस पर छत्तीसगढ़ भाजपा के महामंत्री केदार कश्यप कह रहे हैं कि रायपुर महापौर को फूलों के बदले कांटों का हार मिला। उन्हें धकियाना रायपुर की जनता का अपमान है। प्रियंका इसके लिए जनता से माफी मांगें। यहां भाजपा को महापौर से मोहब्बत नहीं हो गई है। अभी हाल ही उन्हें देश में सबसे भ्रष्ट महापौर के खिताब से भाजपा ने ही नवाजा है। बहरहाल, इस नोंकझोंक को परे रखकर यह महसूस किया जाए कि प्रियंका का गुलाबी इस्तकबाल बेसबब नहीं है।