कितनी बातें अनकही, अजब इत्तेफाक है *नड्डा का आना, पुरंदेश्वरी और अनुसुइया का जाना…*

*सियासत*
छत्तीसगढ़ उजाला
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके मणिपुर की राज्यपाल नियुक्त की गई है उनके स्थान पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वैसे छत्तीसगढ़ के लिए प्रसन्नता का विषय यह है कि सात बार रायपुर सांसद रहे रमेश बैस को झारखंड से स्थानांतरित कर महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके का तबादला ऐसे समय में हुआ है, जब आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार और राजभवन के बीच तनाव चरम पर है। राज्य सरकार राजभवन के खिलाफ उच्च न्यायालय तक पहुंच गई। अब कांग्रेस राज्यपाल अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ से विदा किये जाने पर भाजपा को आदिवासी विरोधी ठहरा रही है तो भाजपा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित पूरी कांग्रेस को आदिवासी महिला राज्यपाल को अपमानित करने वाली टिप्पणियों पर माफी मांगने कह रही है।
दिलचस्प बात यह है कि कुलपति चयन से लेकर आरक्षण विधेयक तक राजभवन से टकराने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्यपाल अनुसुइया उइके के तबादले पर यह कह रहे हैं कि मेरी बड़ी बहन जैसी हैं। एक भद्र, सहज, सरल महिला हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि आरक्षण विधेयक पर 1 घंटे में हस्ताक्षर करेंगी। इसके बाद एकात्म परिसर से पर्ची आती गई। भाजपाइयों ने राजभवन को राजनीति का अखाड़ा बना दिया था। यह दुर्भाग्यजनक है। भूपेश बघेल कह रहे हैं कि इस बात की पीड़ा हमेशा रहेगी कि भाजपा ने उन्हें उनकी भावनाओं के अनुरूप काम नहीं करने दिया। इधर भाजपा महामंत्री केदार कश्यप कांग्रेस से मांग कर रहे हैं कि वह संवैधानिक पद की गरिमा को आघात पहुंचाने अपनी अपमान जनक टिप्पणियों के लिए राज्यपाल से माफी मांग ले।उनका कहना है कि कांग्रेस ने एक आदिवासी महिला राज्यपाल का कई बार मजाक उड़ाया। मुख्यमंत्री से लेकर सभी कांग्रेस नेता लगातार आदिवासी महिला राज्यपाल के खिलाफ टीका टिप्पणी करते रहे। अब उनके विदा लेने का समय आ गया है।छत्तीसगढ़ से वे जा रही हैं। कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि अब महिला आदिवासी राज्यपाल के अपमान पर राजभवन जाकर उनसे माफी मांग लें एवं अपनी गलतियों का प्रायश्चित करें। अब राजभवन को राजनीति का अखाड़ा बनाने का आरोप लगाने वाले कांग्रेसी माफी तो मांगने से रहे।
उल्टे उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा के छत्तीसगढ़ दौरे के बाद राज्यपाल अनुसुइया उइके की विदाई के भी सियासी मायने निकाल लिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम कह रहे हैं कि नड्डा के दौरा के बाद आदिवासी वर्ग की राज्यपाल को हटाया जाना भाजपा का आदिवासी विरोधी होने का प्रमाण है। अनुसुइया उइके 76 प्रतिशत आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर करना चाहती थीं। भाजपा रोक रही थी। मोहन मरकाम का कहना है कि अनुसुइया उइके आदिवासी वर्ग की महिला हैं, इसलिए जेपी नड्डा के बस्तर दौरे के बाद उन्हें बदल दिया गया।
विश्व आदिवासी दिवस के दिन भाजपा ने आदिवासी वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष को भी बदला था। अब आदिवासियों के हित में काम करने की सोच रखने वाली राज्यपाल को बदल दिया गया। कांग्रेस भी कमाल करती है। कल तक अनुसुइया उइके उसकी आंखों में चुभ रही थीं। आज वे बड़ी बहिन नजर आ रही हैं। आदिवासी हित में काम करने वाली महसूस हो रही हैं। एक झटके में कांग्रेस की धारणा बदल गई। यहां एक अजब इत्तेफाक पर भी बात हो जाये। हालांकि भाजपा अध्यक्ष नड्डा के छत्तीसगढ़ दौरे और राज्यपाल अनुसुइया उइके के तबादले में कोई संबंध नहीं है। 13 राज्यपाल बदले गए हैं। यह कोई एक तात्कालिक कदम नहीं है। इस बार नड्डा आये तो जिज्ञासा का विषय था कि पिछली बार आये थे तो भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी विदा हो गई थीं। इस बार क्या होने वाला है। यह संयोग है कि नड्डा आये और इस बार अनुसुइया उइके विदा हो गईं।