अफगानिस्तान पहुंचे चीनी विदेश मंत्री वांग यी, तालिबान से इन मुद्दों पर होगी बातचीत

चीनी विदेश मंत्री वांग अचानक काबुल पहुंचे।बख्तर समाचार एजेंसी ने ऐलान किया कि वांग यी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तालिबान के नेताओं से मिलेंगे। राजनीतिक संबंध, आर्थिक मामले और आपसी सहयोग के मुद्दों पर वह चर्चा करेंगे।
काबुल।चीन के विदेश मंत्री वांग यी बृहस्पतिवार को अचानक काबुल पहुंचे। वह अफगानिस्तान के तालिबान शासकों से मिलने के लिए काबुल आये हैं। हालांकि, कक्षा छह से ऊपर की लड़कियों के लिए स्कूल खोलने के वादे को तोड़ने जैसे रूढ़ि वादी कदम को लेकर एक दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान शासकों से नाराजगी जताई थी।
बख्तर समाचार एजेंसी ने ऐलान किया कि वांग यी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तालिबान के नेताओं से मिलेंगे। राजनीतिक संबंध, आर्थिक मामले और आपसी सहयोग के मुद्दों पर वह चर्चा करेंगे।
अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के साथ चले 20 साल के युद्ध की समाप्ति के बाद पिछले साल अगस्त में तालिबन ने अफगानिस्तान की सत्ता अपने हाथ में ली। इसके बाद से तालिबान की कोशिश अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने की है ताकि वह अपनी अर्थव्यवस्था को खोल सके, जो उसके आगमन के बाद से ही लगातार गिर रही है।
#Chinese Foreign Minister, Wang Yi is in Kabul to talk with the #Taliban officials on various issues, including political, economic and transit ties. pic.twitter.com/q5WNhrGTKL
— Ali Hussaini (@Ali_Hussaini86) March 24, 2022
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चीन ने अभी तक तालिबान को मान्यता देने के प्रति कोई झुकाव नहीं दिखाया है, लेकिन स्कूल जाने और काम करने के लिहाज से महिलाओं के प्रति दमनकारी नीति के बावजूद चीन ने अब तक तालिबान शासकों की आलोचना करने से परहेज किया है।चीन ने काबुल में अपना दूतावास खुला रखा है और कुछ आपात सहायता भी उपलब्ध कराई है।
अमेरिकी की अगुवाई वाली गठबंधन सेना ने 9/11 हमले की गुनहगार ओसामा बिन लादेन को नहीं सौपने पर वर्ष 2001 में तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल कर दिया था। लेकिन तालिबान अब दोबारा सत्ता में है और उसने केवल पुरुष सदस्यों वाली सरकार का गठन किया है।
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान से अनुरोध कर रहा है कि वह वह नस्लीय लिहाज से अल्पसंख्यकों, महिलाओं और गैर-तालिबान लोगों के लिए सरकार के द्वार खोले।
अफगानिस्तान का अब तक दौरा करने वाले शीर्ष स्तर के चुनिंदा नेताओं में अब वांग भी शामिल हो गये हैं। चीन भले ही तालिबान को मान्यता देने से इनकार करता रहा है, लेकिन वह उससे लगातार संपर्क में है।
इसके पहले पिछले साल जुलाई में वांग ने चीनी शहर तियानजिन में एक उच्च स्तरीय तालिबान प्रतिनिधिमंडल की अगवानी की थी जिसकी अगुवाई अब्दुल गनी बरादर कर रहे थे। इस बैठक में वांग ने यह आश्वासन मांगा था कि तालिबान चीन विरोधी समूहों को अपनी धरती से अभियान चलाने की अनुमति नहीं देगा।
इस तरह की रिपोर्ट हैं कि ‘उइगुर पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन’ के सदस्य, जो उत्तर पश्चिम चीन में स्वतंत्र देश की मांग कर रहे हैं, अफगानिस्तान में शरण लिये हुए हैं। उइगुर मुस्लिम समुदाय के उग्रवादी चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग के मूल निवासी हैं। इसके अलावा उइघर विद्रोही खोराजान प्रांत में इस्लामिक इस्टेट के सहयोग संगठन कें संपर्क में हैं।
चीन ने उइघर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ दमनकारी अभियान चलाया है, जिसके तहत राजनीतिक पुनर्शिक्षा शिविरों में 10 लाख या इससे अधिक उइगुर मुस्लिमों को बंद करना शामिल है। विदेश में पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट सालों से चीनी शासन के खिलाफ निचले स्तर का विद्रोह करता आया है।
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चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगुर के खिलाफ बीजिंग की कठोर कार्रवाई को लेकर लगातार लिखित रिपोर्ट मिल रही हैं। इसके बावजूद इस हफ्ते पड़ोसी देश पाकिस्तान में आयोजित इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक में वांग का विशेष अतिथि के रूप में स्वागत किया गया।
इस बैठक में वांग ने यूक्रेन में युद्ध के अंत की अपील की। लेकिन पाकिस्तान समेत आईआईसी के किसी भी सदस्य देश ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन के उन कठोर कार्रवाई को लेकर कोई आवाज नहीं उठाई, जिसमें मस्जिदों का गिराया जाना और धार्मिक कार्यों में शामिल उइगुर मुस्लिमों को जेल भेजना शामिल है।
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