उइगरों मुस्लिमों के दमन पर चुप्पी, भारत के खिलाफ उगला जहर, सामने आया इस्लामिक देशों के संगठन का डबल स्टैंडर्ड

जम्मू कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संगठन संपर्क समूह ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के बिना दक्षिण एशिया में स्थायी शांति संभव नहीं है। समूह इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की परिषद के 48 वें सत्र से इतर मिला और कार्यक्रम की अध्यक्षता ओआईसी के महासचिव एच ब्राहिम ताहा ने की।
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में इस्लामिक देशों के संगठन आईओसी के विदेश मंत्रियों ने बैठक की और इस मंच का प्रयोग भारत के खिलाफ झूठे प्रोपोगेंडा गढ़ने में किया। दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी वाले मुस्लिम देश चीन के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाने वाले इन इस्लामिक देशों के 46 सदस्यों के विदेश मंत्रियों ने अपने प्रस्ताव में कश्मीर में आत्मनिर्णय के अधिकार देने सहित भारतीय मुस्लिमों के प्रति कथित भेदभाव को रोकने जैसे मुद्दों की मांग रखी। इसके साथ ही भारतीय मिसाइल के दुर्घटनावश पाकिस्तान में छूट जाने के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया और इमरान खान की सरकार के साथ मिलकर जांच करने की मांग को उचित भी ठहराया।
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अलापा कश्मीर राग
जम्मू कश्मीर पर इस्लामिक सहयोग संगठन संपर्क समूह ने कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के बिना दक्षिण एशिया में स्थायी शांति संभव नहीं है। समूह इस्लामाबाद में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की परिषद के 48 वें सत्र से इतर मिला और कार्यक्रम की अध्यक्षता ओआईसी के महासचिव एच ब्राहिम ताहा ने की। भारत ने मुस्लिम बहुल देशों के इस संगठन को पूर्व में यह कहते हुए चेतावनी दी थी कि आईओसी जैसे निकायों को गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देने चाहिए। ओआईसी संपर्क समूह ने एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप कश्मीर विवाद के उचित समाधान के बिना दक्षिण एशिया में स्थायी शांति संभव नहीं है।
हिजाब के बहाने निशाना
पाकिस्तान के पैरोकार मुस्लिम देशों ने भारत में मुस्लिमों की पहचान पर घातक हमले जैसे प्रोपोगेंडा के जरिये अपनी चिंता प्रकट की। इसके साथ ही हिजाब को लेकर जबरन भारत के आतंरिक मसले में कूदते हुए कहा कि हम भारत का आह्वान करते हैं कि इस तरह के भेदभावपूर्ण कानूनों को तत्काल खत्म किया जाए।
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क्या है ओआईसी
ओआईसी दुनियाभर के 57 मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है। इसी पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि सऊदी अरब दुनिया के उन टॉप 10 देशों में भी शामिल नहीं है, जहाँ मुस्लिम आबादी सबसे ज़्यादा हैं। सदस्य देशों के अलावा रूस, थाईलैंड और कुछ दूसरे छोटे देशों को ऑफिसर का स्टेटस मिला हुआ है।