छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख शहरों में बंद कर दिए जाएंगे आॅटो रिक्शा

रायपुर। राजधानी सहित छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख शहरों में आॅटो रिक्शा बंद कर दिए जाएंगे। मुख्य सचिव ने ट्रांसपोर्ट विभाग के अफसरों से दो टूक कहा है कि शहरों में डीजल आॅटो की वजह से हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। डीजल आॅटो को बंद कर उनकी जगह ई-रिक्शे चलाए जाएं। मुख्य सचिव के इस फरमान के बाद कांग्रेस सरकार के उस फैसले पर भी असर पड़ सकता है, जिसमें आॅटो रिक्शों को एक साल की जगह पांच साल के परमिट की घोषणा की गई थी। मुख्य सचिव सुनील कुजूर ने मंत्रालय में छह विभागों के आला अफसरों के सामने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट 2016 का खाका रखा। उसके बाद कहा कि तीनों ही नियमों के मुताबिक प्रदेश के किसी भी शहर में काम नहीं हो रहा है। रायपुर के संकरी में अब तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्लांट नहीं बनने से नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों को जमकर फटकार लगाई। टाउन प्लानिंग अफसरों से कहा कि रायपुर के संकरी और बिलासपुर के कछार गांव में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्लांट बनने जा रहा है। इसके 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह से आबादी नहीं बसनी चाहिए, न ही किसी निर्माण की अनुमति दी जाए। ऐसा हुआ तो सरोना जैसी स्थिति हो जाएगी। कलेक्टरों से कहा गया कि हर तीन महीने में सॉलिड वेस्ट का रिव्यू करें। पंचायत विभाग से कहा कि गांव में सॉलिड वेस्ट की क्या स्थिति है। पंचायत विभाग के पास कोई प्लान ही नहीं है। प्रदेश में हर तरह की पालीथिन बैन है। उसके बावजूद झिल्लियां बिक रही हैं। मुख्य सचिव ने पर्यावरण व प्रदूषण विभाग के अफसरों से पूछा कि केवल खाने-पीने की वस्तुओं को पैक करने के लिए ही पालीथिन का उपयोग किया जा सकता है। बाकी किसी चीज में नहीं। फिर भी पालीथिन खुले बाजार में बिक रही है। इस पर सख्ती से बैन लगाएं। कलेक्टरों को छापे मारने के लिए कहा। स्वास्थ्य विभाग से कहा कि बायोमेडिकल वेस्ट किसी भी स्थिति में खुले मैदान पर नहीं मिलना चाहिए। अस्पताल व नर्सिंग होम में छापे मारकर इसका जायजा लें। मुख्य सचिव ने अफसरों से कहा कि रेत के अवैध खनन से नदियों को नुकसान हो रहा है। ट्रांसपोर्ट विभाग निगरानी करे कि नदी से निकलने वाली रेत का परिवहन पूरी तरह से ढंककर किया जाए। नदी से निर्माण स्थल तक रेत आने के दौरान वह सड़क पर उड़ती है, इससे प्रदूषण काफी अधिक होता है। ओवरलोड गाड़ियां किसी भी स्थिति में सड़कों पर न चले। ड्रेन टू ड्रेन पूरी सड़क को पेवर ब्लॉक लगाकर कवर करें, ताकि धूल न उड़े। मुख्य सचिव की 30 अप्रैल को नई दिल्ली में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने पर्सनल अपीयरेंस है। उनका केस नंबर 606 है। प्रदेश में प्रदूषण के स्तर की पूरी रिपोर्ट उन्हें लेकर जाना है। एनजीटी प्रदूषण की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुआ तो तगड़ा जुर्माना लग सकता है। यही वजह है कि मुख्य सचिव ने छह विभागों के अफसरों की छह घंटे तक मैराथन क्लास ली। सभी विभागों के आला अफसरों को 15 दिन के भीतर प्रदूषण के स्तर को दुरुस्त करने का एक्शन प्लान भी दिया है।

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